एक परिवार था मेरा छोटा सा
मां की थी मैं लाडो रानी
बापू की थी मै राजदुलारी
भाई की थी मैं दुनिया सारी
अपने ही मन की मैं करती थी
सपनों की उड़ान मै भरती थी
फिर ना जाने क्या मोड़ आया
एक दिन बलतकारियो ने मुझे अपना शिकार बनाया
एक एक कर अपनी हवस मिटाई
मां मां में कई बार चिल्लाई
जिह्वा कटवा कर मै ने आवाज भी गवाई
बापू तेरे पास फिर आना चाहा
उसने मार- मार कर मुझे फिर लाचार बनाया
अब ना जी सकूंगी मै कभी
पर चैन से अब उन दरिंदो को भी नहीं जीने देना
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