प्रिय सदी, जुल्मी दुनिया के फरेव से जरा बच कर रहना ,कल से तुम भी इक्कीसवीं में पड़ जाओगी....!
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आंधी आती है ,दरख्तों को हिला जाती है|
वही डाल बचती है, जो लचक जाती है|-
ये प्रेम था प्रिय परिहास नहीं
तुम बिन जीना कुछ ऐसा है
यूं धड़कन का उर में साज नहीं
मैं ठहरी साधारण बाला
तुम चमको पुष्प पलाश ज्यों ही
छोड़ा है तुमने साथ मगर
तोड़ा हमने उपवास नहीं
उर में अब भी तुम बसते हो
बस तुमसे कोई आश नहीं
तुम साथ थे तो हम जीते थे
अब खुद पर भी विश्वास नहीं
प्रिय, प्रेम क्षणिक सम्बन्ध नहीं
ये मुक्ति है ,अभिशाप नहीं-
अंतिम से आरंभ किया था,
सोच समझ प्रारंभ किया था|
वह समाप्ति के इच्छुक थे
हमने तो आरंभ किया था|
और वो प्यारे स्वप्न हमारे,
अब ह्रदय में उनको दफन किया था|
और वो ऊंची खड़ी मीनारें,
छू जिसे ताज स्तंभ किया था|
बचाया जिसे गैर गलियों से,
उसने ही उपालंभ किया था|
जिससे जी भर चुका तुम्हारा,
जीना हमने प्रारंभ किया था|
जिसको हमने माना ईश्वर,
उसने इसमें दंभ किया था|
रोज संवारा जिसको हमने,
उसका तुमने अंत किया था|
अंतिम से आरंभ किया था,,,,,-
लोग बोलते हैं मेरी जिंदगी खुली किताब है... सब कुछ बताया
अरे सुनो मुसाफिर तुमने तो व्हाट्सएप का *last seen* तक छुपाया
जब कुछ पूछा तो बाद में बताऊंगा कह के बहलाया
जब मन हुआ तब कॉल लगाया
जब मन भर गया तो *airplen mode* लगाया
खुद चाहा तो वीडियो कॉल करली
मैंने कहा तो *data khatm* बताया
कैसा प्यार है ये समझ नहीं आया
जब दिल ने चाहा तो *new version* दिखलाया
खैर हम भी जी रहे हैं बीसवीं सदी में
कुछ नहीं भूले हम अभी यादों का*softerware update*कराया
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थक जाओ गर इस रिश्ते से
तो मुझको जरूर बताना तुम
बिना किसी बहाने के
सब कुछ सच सच बतलाना तुम
माना सकुचाओगे थोड़ा
बस मुझसे मत शरमाना तुम
क्या वजूद होगा उस रिश्ते का
जो जिंदा ना हो सीने में
हम मौका देंगे तुमको
फिर नई जिंदगी जीने का
बस सब कुछ सच सच कह देना
कभी झूठे अश्क ना बहाना तुम
थक जाओ अगर इस रिश्ते से
तो मुझको जरूर बताना तुम-
होकर यूं ना मायूस
शाम की तरह ढलते रहिए
जिंदगी एक भोर है
सूरज की तरह निकलते रहिए
एक पांव पर जो ठहरोगे
तो जल्दी ही थक जाओगे
धीरे धीरे ही सही
आगे बढ़ते रहिए
एक दिन तो लक्ष्य मिल जाएगा
बस एक उम्मीद बनाए रखिए
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मेरे जीवन में फिर त्रासदी हो गई,
पीर पिघली पिघल कर नदी हो गई।
स्वप्न में ही सही आज आ जाइए,
तुमको देखे हुए एक सदी हो गई।
प्रीत का हर वचन हम निभाते रहे,
दो अधर प्रेम के गीत गाते रहे।
तुमने रो कर कहा था कि रोना नहीं,
इसलिए हम सदा मुस्कराते रहे।
-©® अभिषेक औदिच्य
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यकीन था हमें बदल जाएंगे आप भी
खुशी इस बात की है आप इस उम्मीद पर खरे उतरे!!
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