हर क़िताब में कोई किरदार या कहानी का
किस्सा नहीं किसी की जिंदगी का हिस्सा है,
किसी का उलझा हुआ अफ़साना काग़जो में
छुपा ग़ुलाब है,तो किसी का क़िताब का कोना
मुड़ा होना उस का पसंदीदा ख़ास राज़ हैं ||
मेरे अल्फाजों को जब कलम का और मेरी
खास किताब का साथ मिला,मानों मेरे सुकून
को एक खास घर मिला जब मेरी रूह को
हम रूह का साथ मिला, रूह को रूह से
जुड़ा हर अल्फाज पसंद है,शायद इसीलिए
ही अब हमरूह की किताब में रूह के कई
अल्फ़ाज है ||
अब ख़याल आता है तो बस यहीं की हमारी
कब्र बाद में बनवाना हमरूह के सफ़र में साथ
चलने वाले दोस्तों,पहले किताबों की महफिल
जमा दो अभी कई किताबों को अपनी ख्वाबगाह
में करीने से सजाना बाकी है ||
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