सिंदूर तेरे नाम का,
चेहरे पे चमक तेरे नाम की,
कंगन तेरे नाम का
ये चूड़ी भी तेरे नाम की,
ना भी हो तो कैसे?
लिखी थी ईश्वर को मैंने,
अर्ज़ी तेरे नाम की।
अर्घ्य तेरे नाम का,
पूजा तेरे नाम की,
दिन रात मन से निकलती,
हर दुआ तेरे नाम की,
ना भी हो तो कैसे?
कुछ तो उपरवाले की थी,
मर्ज़ी तेरे मेरे साथ की।
रूबाब तेरे नाम का,
गुज़ारिश भी तेरे नाम की,
ग़ुरूर भी तू मेरा,
हर हया भी तेरे नाम की,
ना भी हो तो कैसे?
तूने चाहा होगा मुझ सा कोई,
मैंने भी बाँटी होंगी शायद कुछ मोती तेरे नाम की।
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