तुम्हें भूलने की बहुत कोशिश की
पर अब भी तेरे प्यार का कतरा मुझमें बाकी है
शायद दिल भूलना नहीं चाहता और
ऐसा भी नहीं के तेरे बिन जीना नामुमकिन है
लम्हों की सुई अब भी टिक टिक करती है
तुझे एहसास है या नही क्या पता
पर तेरे फरेब की अदा बहोत अच्छी है
सोचना कभी मेरी बातों को लब ज़रूर मुस्कुराएंगे
पर अहम के आगे हठ करके टूट जायेंगे
नाराज़ है जुबां दोनों की शायद सपनों में मिल जायेंगे
आस की प्यास में दिल और से लगाकर
नए तो नहीं, फूल मुरझाए ही याद आयेंगे
कोशिशों की कहानी है रिश्तों में प्यार की
मिट्टी में कहीं तो जमींदोश हो जायेंगे
ऐतबार की सांसें जीवित हैं अब भी
आंखों के रस्ते कहीं गुम हो जायेंगे
कसूरवार ठहराके एक दूजे की हस्ती
भीतर ही भीतर कहीं समां जायेंगे
दिल दुखाकर कोई खुश नहीं रहता
झूठी खुशी का कब तक ढोंग रचाएंगे
दिल से दिल तक गर पहुंचती हैं बातें
तो सुनो तेरी रूह को कुछ वक्त जगा ही जायेंगे ।।
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