ये दिल इतना बेकरार क्यूँ है
उसकी यादों से इतना प्यार क्यूँ है,
खो गया वो शख्स दुनिया की भीड़ में
फ़िर भी उसका इंतज़ार क्यूँ है....?-
तेरी नज़दीकियों के शहर बसते हैं मुझमें
कुछ इस कदर तू इतने करीब है मेरे...-
तेरा सब्र मेरा अब्र
दुनिया के लिए कब्र हो गया
देख मोहब्बत कितने मायनों में
सबके लिए वर्ब (verb) हो गया....-
Raat saari kategi usse
Wafa ke gunaah mein,
Tu khush reh saath uske
Jo bhi hoga teri panaah mein....
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बेग़ैरत की नज़रों में रिदा क्यों हुए हैं
विरानी में ख़ामोशी की ज़ुबाँ क्यों हुए हैं
मयस्सर थी न जो खुद की वफ़ाओं में
क्यूँ हम उसमें नफा हुए हैं
मोहब्बत में हम तुम जुदा क्यों हुए हैं......-
Saabit kr diya usne ye
Lautkar jaane waale
Vaapas nhin aate.... 😓-
औरों को मनाना आसान था
ख़ुद को मनाना इतना मुश्किल क्यों,
अदाय सी उसकी शख्सियत में
खतावार दिल की सज़ा भुगत रही आँखें अंजाम क्यों......-
गर लाना ही है तो कुछ वक़्त ले आना
हम नादान तेरी इस दौलत पे मरते हैं.....-
जाम- ऐ- मोहब्बत का घूंट रोज़ पिये जा रहे हैं
कमाल है हम उसे भूलने के लिए उसे ही गले लगा रहे हैं....
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