Ruchi   (Muski)
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Joined 6 April 2019


Joined 6 April 2019
4 APR AT 22:43

अपने ही अंदर दो किरदार का प्रतिदंव्द देखती हूं
एक तेरे साथ जिंदगी भर रहने के सपने संजोए हुए है
दूसरा तुम्हें आजाद करके प्यार की परिभाषा बतलाता है
क्या सही क्या ग़लत
इसमें उलझा मन
अपने ही अंदर दो किरदार को देखता है।

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5 DEC 2023 AT 21:02

क्या एक नशा दूसरे नशे से कटता है
जैसे लोहे से लोहा कटता है
कुछ तो हलचल हुई है आज
वर्ना कौन यू बदलता है

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6 OCT 2023 AT 19:56

किसी को जिंदगी भर का प्यार कुछ पल में मिल गया
किसी को जिंदगी गुजारने के बाद भी नहीं

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30 JUN 2023 AT 10:03

ज्यों ज्यों गिरत नीर मुख पर
त्यों त्यों बिसरत पीर सारी
ज्यों ज्यों बरसत बरखा छत पर
त्यों त्यों निखरी मन रंगत म्हारी

नयनजल, जल में मिलत
हुई मन-माया मिश्रित सारी
भूल रीत जगत की थिरकी ऐसी
बावली हुई आज प्रिय तुम्हारी

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22 MAY 2023 AT 14:31

जिसने पाया कद्र ना की
जिसने खोया जाने महत्ता उसकी

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11 APR 2023 AT 16:47

प्रेम तुल्य नहीं अतुल्य है
ना ही प्रारब्ध का फल हैं
जो किसी को ही प्राप्त हो जाये
ना प्रचण्ड प्रयास जो प्रिय को क्षति पहुचाये
प्रेम तो प्रभु आराधना की प्रक्रिया है
जिसके प्रभाव से प्रतिबिम्बित प्रेमी प्रकाशमान है
प्रसन्नता का प्रवेशद्वार हैं प्राण का पर्याय हैं
प्रेम ही प्रगतिशील जीवन का प्रवेशद्वार हैं
प्रेम ही प्रभु है प्रभु ही प्रेम है

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10 APR 2023 AT 6:37

जीवन के अंतिम क्षणों में भी
मुख में नाम उसका ही पाओगे
प्रेम का ऐसा स्वरूप
कलयुग में और कही नहीं पाओगे
आत्मा तो शरीर छोड़ देगी
पर रूह उसके पास ही पाओगे

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3 APR 2023 AT 20:00

प्रेम में पड़ी स्त्री के जीवन में केवल रोना ही लिखा है

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30 MAR 2023 AT 22:33

वो फिजा़ भी याद हैं वो फिजा़ में बहा इश्क़ भी
वो सड़कें भी याद हैं, जहाँ बहका इश्क़ भी
वो मुहब्बत का आगाज, तेरी गुनगूनाती आवाज भी
वो तेरा मिलना, और मुझ में मिल जाने का प्रयास भी
वो सुहाना सफर, जो चलता आज भी...

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27 MAR 2023 AT 22:54

अपने ही किरदार के भिन्न रुप देख रही हूँ
यह मेरा विकास है या विकास में बाधा

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