ऋतुजा _   (ऋतुजा 🇮🇳)
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insta- reetz_musik
बेपरवाह चंचल अल्हड़ सी हूँ मैं
बीत गई है जो उसी बचपन सी हूँ मैं
Joined 4 May 2018


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बेपरवाह चंचल अल्हड़ सी हूँ मैं
बीत गई है जो उसी बचपन सी हूँ मैं
Joined 4 May 2018
18 MAR AT 3:56

चार दिनों की प्रीत लगा कर
मनमोहन मनमीत बना कर
हृदय का संगीत सुना कर
छोड़ गया वो प्रेम जगा कर


चार पहर की नींद उड़ा कर
दोपहर से धूप चुरा कर
सांझ की बेला मिलने बुला कर
छोड़ गया वो प्रेम जगा कर

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18 MAR AT 3:47

रंग जाए कोई मन मेरा
सांवरा कोई मशखरा
तन कोरा कोरा रहे
भीग जाए अंतर्मन मेरा

प्रेम रंग की नदी बहा
पिचकारी में प्रेम भरा
भीगे तन भीगे बदन
डुबो जाए कोई मन मेरा

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18 MAR AT 3:34

ज़िंदा रहने की ऊर्जा

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12 OCT 2024 AT 12:23

श्री राम ने मारा था
रावण को सतयुग में
रावण ही रावण फूंक रहा है
कलयुग में

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2 APR 2022 AT 23:46

रूठी प्रेयसी को मनाते नहीं अब

ये आशिक़ों के मिजाज़ को क्या हुआ

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19 JAN 2022 AT 4:25

इतना फ़र्क़ पड़ चुका है
कि अब कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता

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15 JAN 2022 AT 13:36



आती जाती हो सांस की तरह
आँखों में पलती हो आस की तरह
मीलों जा चुकी हो दूर मग़र तुम
हर पल हो संग मेरे विश्वास की तरह

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15 DEC 2021 AT 19:37

सिर्फ प्रेम में वो शक्ति है
जो आपके हर प्रकार के दर्द से मुक्ति दिला सके

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11 DEC 2021 AT 5:29

मेरे अश्कों से होती है
तेरे भी दिल में बरसात
धड़कनों की गति लड़खड़ाती है
लगती है ज़ख्मों की बारात
जागते हैं पहरों पहर हम आँखों में तेरी
इस वियोग में मरते हम भी हैं दिन रात

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11 DEC 2021 AT 5:27

मेरे दर्द से दर्द उसे भी होता है
मेरी आँखें तो दिल उसका भी रोता है
बस चले तो एक कतरा न बहायें आँखों से
मग़र चाह कर भी दिल राज़ी नहीं होता है।

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