चार दिनों की प्रीत लगा कर
मनमोहन मनमीत बना कर
हृदय का संगीत सुना कर
छोड़ गया वो प्रेम जगा कर
चार पहर की नींद उड़ा कर
दोपहर से धूप चुरा कर
सांझ की बेला मिलने बुला कर
छोड़ गया वो प्रेम जगा कर
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ऋतुजा _
(ऋतुजा 🇮🇳)
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बेपरवाह चंचल अल्हड़ सी हूँ मैं
बीत गई है जो उसी बचपन सी हूँ मैं
बेपरवाह चंचल अल्हड़ सी हूँ मैं
बीत गई है जो उसी बचपन सी हूँ मैं
Joined 4 May 2018
18 MAR AT 3:56
18 MAR AT 3:47
रंग जाए कोई मन मेरा
सांवरा कोई मशखरा
तन कोरा कोरा रहे
भीग जाए अंतर्मन मेरा
प्रेम रंग की नदी बहा
पिचकारी में प्रेम भरा
भीगे तन भीगे बदन
डुबो जाए कोई मन मेरा
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12 OCT 2024 AT 12:23
श्री राम ने मारा था
रावण को सतयुग में
रावण ही रावण फूंक रहा है
कलयुग में-
15 JAN 2022 AT 13:36
आती जाती हो सांस की तरह
आँखों में पलती हो आस की तरह
मीलों जा चुकी हो दूर मग़र तुम
हर पल हो संग मेरे विश्वास की तरह
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15 DEC 2021 AT 19:37
सिर्फ प्रेम में वो शक्ति है
जो आपके हर प्रकार के दर्द से मुक्ति दिला सके-
11 DEC 2021 AT 5:29
मेरे अश्कों से होती है
तेरे भी दिल में बरसात
धड़कनों की गति लड़खड़ाती है
लगती है ज़ख्मों की बारात
जागते हैं पहरों पहर हम आँखों में तेरी
इस वियोग में मरते हम भी हैं दिन रात-
11 DEC 2021 AT 5:27
मेरे दर्द से दर्द उसे भी होता है
मेरी आँखें तो दिल उसका भी रोता है
बस चले तो एक कतरा न बहायें आँखों से
मग़र चाह कर भी दिल राज़ी नहीं होता है।-