ऋषिका   (दिल से दिल तक.......)
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AN HOUR AGO

ऋषिका

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4 HOURS AGO

ऋषिका

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17 HOURS AGO

ऋषिका

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10 JUN AT 9:46

......

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9 JUN AT 12:50

मेहबूब कि खातिर युहीं कुछ कर जाए क्या,
जिया नहीं जाता बिना उनके, उनके लिए मर जाए क्या।

कैसे सुनाए उनको वो मेरी सुनते कहाँ है,
दिल भी चीर के दिखा दे फिर सुनेंगे क्या।

रूठ जाए मेहबूब क़ी जिसको माना ख़ुदा है,
उस से हम भी अब रूठ जाए क्या।

रातों को हम भी जागते है ढूढ़ते है हर जगह तुमको,
तुम हो जीने क़ी वजह मेरे हर बार तुमको बताए क्या।

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9 JUN AT 10:44

दिया जन्म ख़ुदा ने दोबारा,
मैं फिर से तेरी होना चाहूँ।

टूट कर बिखरना तेरी बांहो में,
तेरी ही बांहो फिर सवरना चाहूँ।

मोहब्बत बेहिसाब करुँ फिर से,
तुझे मैं फिर से एक बार मैं तेरी,
होना चाहूँ।

ख्यालों में तू ख़्वाबों में तू अपनी,
हाँथो कि लकीरों में फिर तुझे लिखना,
चाहूँ।

मैं फिर से एक बार तेरी होकर ख़ुद,
को खोना चाहूँ,
तेरी हि बस तेरी हि मैं होना चाहूँ।

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8 JUN AT 12:05

काश,
वो ठहर जाते,
वक़्त मेरा भी सवंर जाता।

आज हम भी होते दिल मे उनके,
वक़्त भी शायद फिर संभल जाता।

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8 JUN AT 8:24

आज फिर से भरम हूआ क़ी वो आया है,
ए-हवाओं तुम दरवाजा खटखटाया ना करो।

आशिक़ का दर्द एक आशिक़ ही जाने,
हर किसी को दर्द अपना तुम सुनाया ना करो।

जो क़भी पुरे नही हो सकते ख़्वाब मेरे,
वो ख़्वाब ए-ख़ुदा-मुझे तुम दिखाया ना करो।


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7 JUN AT 21:24

सिल रहे थे दिल को वो आकर,
फिर से एक नया जख़्म दे गए।

उन्हें मिला है मेहबूब क़यामत सा,
पर जाते जाते जख्मो पर नमक दे गए।

ना सिलने देते है ना टूटने देते है,
वो ज़ालिम से मेहबूब है जो ना सूकू से,
जिनें देते है।

सोचा था इस बार उनको भुला बैठँगे हम भी,
पर वो जाते जाते गेहरी एक निशानी दे गए।

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7 JUN AT 16:40

क़भी मिलोगे तो मोहब्बत के किस्से बूंनेंगे,
ना मिल पाए तो दोनों एक दूसरे क़ी यादों मे रहेंगे।

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