9 OCT 2018 AT 15:39

वो मेरा नहीं फिर भी मेरा है !
यह कैसी उम्मीद ने मुझे घेरा है !!

रचयिता - अज्ञात

प्रस्तुतिकर्ता

- दर्पन कानपुरी