कोटि गुना तुम अच्छा खेली,
लड़ने को तुम निकली अकेली
यूँ ही नहीं टेक दिए घुटने
लक्ष बार कहूँगा तुम हो अलबेली।

इस विश्व विजय की चेष्टा में,
सम्पूर्ण विश्व की व्यवस्था में
तुमने धूल चटाई अविजित को
फिर भी तुम क्यों हो दुविधा में।

भारत के महिमामंडन समक्ष,
उसके दिग्भ्रमित प्रजा के अध्यक्ष
यह जीत एक चुनौती है
स्वीकार करो आओ प्रत्यक्ष।

- रुस्तम