ऋषभ देव   ("एहसास")
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Joined 23 October 2017


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Joined 23 October 2017
16 AUG 2018 AT 20:53

जिसने जात पात भेदभाव ऊंच-नीच कभी देखा नहीं।
जो देश के लिए मरे अब तुम सा कोई नेता नहीं।

जो दिया है देश को आपने वो याद करेगी दुनिया।
हर कोई इस कुर्सी पर बैठकर जो देता नहीं।

आज अलविदा कह दिया दुनिया को अफसोस है बेहद मुझे।
मौत से सभी हार गए यहां समय से ज्यादा कोई रहता नहीं।

कल दुनिया का जो बादशाह था आज खाली हाथ चल दिया।
तुम देख लो दुनिया से जाते वक्त कोई कुछ लेता नहीं।

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11 FEB 2021 AT 23:42

कहानी, किस्से, शायरी लिखने वाला लड़का,
जब किसी खास शख्स से मिलता है तो,
तोहफ़े में फूल नहीं, अल्फ़ाज़ों के समन्दर में डूब कर लिखी हुई किताब देता है।

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10 FEB 2021 AT 22:43

फिर यूं हुआ की, मां ने कलेजे से लगाया,
और कहा... लख्त ए जिगर भूल जा उसे।

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24 JAN 2021 AT 21:57

जब जब आए ख्याल मोहब्बत का "एहसास"
तब तब किसी फकीर की खुद को मिसाल दो।

तितलियां नहीं रुकती किसी एक फूल पर,
गलतफहमी ये अपने मन से निकाल दो।

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24 JAN 2021 AT 21:51

दिल की महफ़िल से मुझको उठाने के बाद,
कोई बहुत रोया है मुस्कुराने के बाद।

हाय नसीब! ये तुमने क्या किया?
मुझे जगाया भी तो उसके जाने के बाद।

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23 JAN 2021 AT 1:07

फिर उसके बाद ज़माने ने मुझे रौंद दिया,
मैं गिर गया था किसी और को उठाते हुए।

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11 JAN 2021 AT 21:00

किसी किसी रात हम कुछ महसूस नहीं कर रहे होते हैं..
न हंसना, न रोना, न सुख,न दुख न प्रेम, न घृणा, उदासी खामोशी कुछ भी नहीं।

शायद यही वो पल होता है जब हम ईश्वर के सबसे करीब होते हैं।
जानते हो कुछ नहीं महसूस करना सबकुछ महसूस करने के बराबर है।

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11 JAN 2021 AT 0:21

बात कितने ही दिल के दिल में रह गये
ज़ख्म थे दिए हुए तुम्हारे सो सह गये।
कारोबार हमसे न हो पाया दर्द का कभी,
इसलिए सफ़ल होकर भी असफल रह गये।

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9 JAN 2021 AT 23:57

सफ़र में क्या क्या पीछे छूट गया,
सफ़र में क्या साथ लेकर आए?
गुम किरदार की कहानी हो गई,
आंखों में इतना पानी लेकर आए।

थक कर राहें पूछ रही मंज़िल का पता,
मंज़िल को सफ़र में ही छोड़कर आए।
सारी ख्वाहिशों को उतारकर रख दिया,
बोझ कंधे का हम यूं हल्का कर आए।

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9 JAN 2021 AT 8:50

मुझे मुझमें कोई वापस रख दे,
खुद से बाहर निकल गया हूं मैं।

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