रश्मि वैष्णव "नज़्म"   (रश्मि वैष्णव "नज़्म")
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Joined 12 February 2018


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Joined 12 February 2018

देखा हर रिश्ते को,
फूल सा संभाला
मैंने हर अपने को,
पता नहीं था मुझे
लोग दिमाग वाले
मुझे छल रहे थे,
और एक मैं थी
जो सब सही होगा
के इंतजार में थी।
#रश्मि

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चहक उसकी भर ली है कानों में हमने,
वो एक मुलाक़ात थी जो याद है अभी तक
कसक उसकी उठती है दिलों में हमारे,
क्या भूल चुके हो कि कोई ख़बर नहीं
या याद मिटा दी हमारी दिलों से तुमने।
#रश्मि

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चेहरे पर नक़ाब है
झूठा सा रुआब है,
स्वार्थ के मारे रिश्ते
हर पल हिसाब है,

सच से दूर भागे
धोखे बेहिसाब है,
साफ़ दिल छलनी करे
नफ़रत का हिजाब है,

फिर भी ख़ुद सही
दिखावे का बर्ताव है,
हे ईश्वर! तेरे यहां भी तो
हर कर्म का जवाब है।
#रश्मि

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तन के दर्द की हज़ार दवाएं
मन के दर्द का न कोई इलाज़,
तन का दर्द दिखाया जाए और
मन का दर्द छिपाने का रिवाज़।
#रश्मि

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बहुत सुहानी लगती है,
गाओ तो ग़ज़ल और
सुनाओ तो कहानी लगती है,
महसूस करो तो अनुभव और
जीओ तो जवानी लगती है।
#रश्मि

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मुझसे आँखें मिलाए वो हिम्मत नहीं है,
दूर रहकर वो हमें आजमाते है अक्सर
नजदीकियों में रहे पर वो आदत नहीं है।
#रश्मि

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ज़िंदगी के हर लम्हे को जीना सीखो,
खुशी के पलों में थोड़ा झूमना सीखो,
दर्द के लम्हों को तुम भूलना सीखो,
बीत जाएगी ज़िंदगी यूं ही फटाफट
चलते चलते ख्वाबों संग उड़ना सीखो।
#रश्मि

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ज़िंदगी की हक़ीक़त से
या खुद की सोहबत से,
ऐसे कुछ हासिल नहीं होगा
ठहरो!चुनौती का सामना करो
और जीत कर दिखाओ,
तभी दुनिया कुछ मानेगी।
#रश्मि

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बहुत मुश्किल होता है
हक़ीक़त को अपना लेना,
हम जीना चाहते हैं ख़्वाबों में
तमाम ख्वाहिशों को पूरा करने में,
लेकिन हक़ीक़त इनसे परे होती है
वो तोड़ कर रख देती है दिल को
फिर टूटे दिल का जुड़ना तो दूर
उसका बिखराव भी समेटना जैसे
नामुमकिन सा लगता है..!
#रश्मि

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वक्त बेवक़्त मिलते रहा करो दोस्तों,
ज़िंदगी कब हाथ से निकल जाए क्या पता,
छोटी सी ज़िंदगी है मिल बांट कर जी लें
यहां तन्हा सा कोई रह जाए क्या पता!
#रश्मि

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