रश्मि प्रभा   (रश्मि प्रभा)
42 Followers · 79 Following

read more
Joined 8 August 2020


read more
Joined 8 August 2020

चलो एक दीया अदृश्य चौखट पर
हम मिलकर रखें,
सबकी कुशलता के नाम
अपनी प्रार्थना के बोल लिखें ...

-



यह जन्म किसी एक का नहीं,
यह धरती किसी एक की नहीं
ना ही आसमान किसी एक का है
फुटपाथ हो या घर
अगर मन में सम्मान है
तो स्त्री सुरक्षित है
और उसकी शक्ति - वह तो नवरूपा है ही।
बाकी सारी समस्याएं खुद की बनाई हुई हैं
बेटी को पराया मानना
दहेज़ देना
बेटा' को वंश मानकर बेटी को प्रश्नों के घेरे में डालना
समानता के नाम पर उदण्ड लड़कों की बराबरी करना।
बस अपने अस्तित्व की पहचान न खोएं
न खोने दें
फिर कोई प्रश्न नहीं होगा
और अगर कभी हो भी
तो उत्तर अनिवार्य नहीं होगा ।

-


30 AUG 2020 AT 22:27

कुछ वृक्ष होते है मन्नतों वाले
कुछ दीवारें होती हैं मन्नतोंवाली
धागे लेकर
हम अपनी अपनी मन्नतें
माँग लेते हैं …
कौन सी मन्नत ?
सफलता की
बच्चे की
पति के आयु की
ज़िन्दगी सँवर जाने की
....
दुआओं के धागे सब बाँधते हैं
अंधविश्वास में नहीं
प्यार में
.... है न ?
पर कई वृक्ष
कई दीवारें
मन्नतों के दंश भी भोगती हैं
अपने आस-पास बंधे धागों की नज़रें उतारती हैं
मन्नतों को पूर्णता देनेवाले
ये वृक्ष
ये दीवारें
कम दर्द नहीं भोगते !
प्यार के साथ साथ
नफरत के धागे भी झूलते हैं …
मानते हैं न ?

-


26 APR 2021 AT 10:38

देखो
अंधेरे के स्याह रास्तों पर
सूरज का रथ चल पड़ा है
जग का कोना कोना
जाग उठा है ...

-


24 APR 2021 AT 22:32

ईश्वर ने अपने वे सारे पट खोल दिये हैं,
जिसे मनुष्य ने
मतिभ्रम में बंद कर दिया था ।
अमृत की बूंदें हवा में घुल गई हैं,
अब सब ठीक होंगे ...
शिव ने
एक वायरस के आगे त्रिनेत्र खोला है,
माँ दुर्गा रक्तदंतिका बन
उसका अंत करने में लगी हैं,
राम ने अनुनय,विनय करना छोड़ दिया है
कृष्ण न्याय के लिए उठ खड़े हुए हैं ।
गणपति विघ्न हरने में व्यस्त हैं
बजरंगबली संजीवनी लिए
द्वार पर आ गए हैं
उठो, यकीन के दरवाज़े खोलो
शुद्ध हवा सर सहलाने को तत्त्पर है ।

-


24 APR 2021 AT 13:27

सब के सब, अपनी गोटी लाल करने में व्यस्त हैं,
सब शकुनि के पासे लिए बैठे हैं और कृष्ण को छली कहकर संतोष कर रहे हैं । अब कृष्ण को कहो या भीष्म को जिम्मेदार ठहराओ, कुरुक्षेत्र सामने है ...

-


21 APR 2021 AT 19:45

श्रद्धेय राम,

सागर में तुमने जो पत्थर डाले, वह डूब गए, क्योंकि सच यही है कि तुमने अगर साथ छोड़ दिया तो डूबना ही है । जो पत्थर तैरे, उनपर तुम्हारा नाम था । जिनके मन में तुम हो, ज़ुबान पर हो, जैसे भी हो - उनकी रक्षा करो, उन्हें डूबने से बचा लो । किसी को अगर शिकायत भी है तो हे राम, तुम तो जानते हो कि शिकायत अपनों से ही होती है । भक्त हनुमान को भी हुई थी, जब तुम माँ सीता के साथ बैठे थे और द्वारपाल ने उनको तुम्हारे पास जाने से मना कर दिया । कितना दुख हुआ था हनुमान को और तुम्हारे यह कहने पर कि सिंदूर की वजह से माँ सीता एकांत में भी तुम्हारे साथ रह सकती हैं, हनुमान सिंदूर से स्नान कर आ गए थे ।
मैं ऐसा तो कुछ नहीं कर सकती, पर शून्य में बहते हर अश्रुकण पर लिखती हूँ "श्री राम" । निरन्तर लेते हर नाम पर लिखती हूँ तुम्हारा नाम ... बचा लो राम, कहो अपने प्रिय हनुमान से, संजीवनी लाएं । इस बार तो सही में पूरे पहाड़ की ज़रूरत है ।
बहुत झेला हमने कलियुग को, अब तो हमारे हिस्से सतयुग लिख दो ।

भक्त हनुमान नहीं,
पर भक्त रश्मि हूँ
करती हूँ आगाज़ - जय श्री राम ।

-



तुम ज़िंदा हो,
अगर तुममें सच समझने की शक्ति है ।
तुम ज़िंदा हो,
अगर तुममें सच कहने का साहस है (लिखकर ही सही) ।
तुम ज़िंदा हो,
अगर तुम्हारे सच के आगे
झूठ की सेना तलवार लेकर खड़ी हो जाये ।
तुम ज़िंदा हो,
यदि एक सच की खातिर
तुम्हारी नींद तुमसे कोसों दूर हो जाये ।
तुम ज़िंदा हो,
अगर सच के विरुद्ध खड़े लोगों से
तुम घृणा करने लगो,
उनकी बातों पर कोई प्रतिक्रिया न देते हुए भी
तुम अपनी सोच पर अडिग रहो ।
तुम ज़िंदा हो,
अगर अपने एकांत में तुम सत्य के साथ प्रार्थनारत खड़े हो ।
तुम ज़िंदा हो,
जब तक जीने की आग है तुम्हारे अंदर । ...
हाँ _तब तक तुम ज़िंदा हो ...

-


31 DEC 2020 AT 22:51

डियर ज़िन्दगी बनकर रहना

-


22 DEC 2020 AT 23:45

कच्ची, खुरदुरी सड़क के
खाली गलियारों को जब भरती है
मेरी सेकेंड हैंड पायल की छनक !
जिस पर बसंती हवा सी बावरी उमर
घूमती फिरती इतराती है
ये सरगम मेरे मन से गुजरती
मुझे राजरानी कर जाती है
तब पूछती हूं मैं खुद से -
मेरी मां मुझसे रोज़ रोज़
पानी क्यों भरवाती है ?

-


Fetching रश्मि प्रभा Quotes