जैसे टूटने पर नींद ख्वाब टूट जाता है।
वैसे रुठने पर तेरे मेरा दिन रुठ जाता है।
कि सुखा-सुखा सा रहता है हर पल मेरा।
जैसे टहनी से टूटकर फूल सुख जाता है।-
सुबह को मै शाम बनाउं चांद,तारे मेरा श्रृंगार है।
चमकता आसमां मेरी ओढ़नी जुगनू पहरेदार हैं।
कि बिन मेरे कुछ नहीं है पूरा‘निशा‚ मेरा नाम है।
कोई रात कहे कोई कहे रात्रि जाने पूरा संसार है।
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घने बादलों से निकलता सवेरा हो तुम।
लहराती हवाओं में गुजंता भंवरा हो तुम।
अब किन लफ़्ज़ों से करूं मैं तारिफ तेरी।
बस मेरे ख्वाबों में जागता चेहरा हो तुम-
जब लिखुं तुझे तो ये शब्द भी कम हो जाते हैं।
हो बाप का हाथ सर पे दूर सब गम हो जाते हैं।
कितना करते हैं प्यार हमसे दिखा नहीं सकते।
तभी वो बाहर से नहीं अंदर से नम हो जाते हैं।-
कुछ दिल में अरमान सहेजें है।
कुछ घर पर छोड़कर आया हूं।
कुछ ख्वाबों में संभाल के रखें हैं।
कुछ से नाता तोड़कर आया हूं।
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कुछ दिल में अरमान सहेजें है।
कुछ घर पर छोड़कर आया हूं।
कुछ ख्वाबों में संभाल के रखें हैं।
कुछ से नाता तोड़कर आया हूं।
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कहीं देरी सोचकर भागता हूं।
कभी दूरी सोचकर भागता हूं।
छुट न जाए सब कुछ हाथों से।
ये मजबूरी सोचकर भागता हूं।
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मां रचा नहीं रूमाल यो मुंह प।
तेरे पल्लू त पोछणा चाहूं सूं।
भरी जवानी दुखी करै है बाबू।
मैं बचपन फेर देखणा चाहूं सूं।
नहीं मजा साफ-सुथरा रह के।
मैं तो माट्टी म लोटणा चाहूं सूं।
खुद के पैरा प होग्या बोझ इब।
मां तेरी गोदी म घुमणा चाहूं सूं।
न यारी दोस्ती प रह्या भरोसा।
मैं यार पुराणे फेटंणा चाहूं सूं।
यो जमाना तो कपटी है सुमित।
मैं टेम पुराणा देगणा चाहूं सूं।
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लगा के बहाना आ मेरे दोस्त
कुछ पल साथ जियेगें।
तु, मैं और दो प्याले चाय
हम एक साथ पियेंगे।-
मुझे दिखाना नहीं जताना आता है।
तुम खुश रहो मुझे हंसाना आता है।
थोड़ा अजीब हूं पता है मुझे क्यूंकि।
बिगाड़ना नहीं मुझे बनाना आता है।-