RS Chauhan   (राम शब्द "बेनूर")
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Joined 21 November 2018


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9 AUG 2023 AT 19:47

ज़रा गौर करके हमे तुम बताओ,
मेरी इन निगाहों में तुम तो नही हो।
कि बहला रहीं हैं मुझे ये हवाएँ
कहीं इन हवाओं में तुम तो नही हो।।

कि चारो तरफ हैं तूफानों के साए
भला हमसे मिलने कोई कैसे आए,
मगर फिर भी ज़िंदा हैं मेरी सदाएँ
जिसे दूर तक ले के जाएँ हवाएँ।

दुवाएँ तो हैं कुछ मेरे ख़ैरियत की,
कहीं इन दवाओं में तुम तो नही हो।
कि बहला रही हैं मुझे ये हवाएँ
कहीं इन हवाओं में तुम तो नही हो।।

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4 AUG 2023 AT 11:35

हसरतों का ज़िक्र करके तुम न झकझोरो मुझे।
यार इतना टूट चुका हूँ ,और ना तोड़ो मुझे।।

टूटकर जर्रे में मिलकर फिर से उग आऊँगा मैं
मुझको टुकड़ों में ही रहने दो नही जोड़ो मुझे।

तुम बिठा के पास अपने दिल न बहलाओ मेरा
मौत से मिलना मुझे है दोस्त अब छोड़ो मुझे।

मैं हवा का एक झोंका हर दिशा तक मुड़ चुका
अब ज़मीने इश्क़ के तह की तरफ मोड़ो मुझे।

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3 MAR 2023 AT 18:09

बड़ी शिद्दत से इंतक़ाम लिया है उसने।
हर्फ़ दर हर्फ़ मेरा नाम लिया है उसने।।

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29 OCT 2022 AT 11:40

कहने को तो खूब बढ़े हम, खूब लड़े हालातों से।
लेकिन थक कर हार गए हम अपने ही जज़्बातों से।।

दिन भर दिन के प्रतिबंधों से रोज निकलते हैं लड़कर
घर आते हैं और पराजित हो जाते हैं बातों से।

बची ज़रा सी रात तो सोचा मन भर के जी लेते हैं
फिर किसी ने रात चुरा ली मेरी अपनी रातों से।

अरमानो को एक एक करके त्याग दिया है दामन से
अरमानों का क़त्ल हुआ है अपने ही इन हाथों से।

भाग रहे हैं, दौड़ रहे हैं फिर भी लगता है 'बेनूर'
सांसे जैसे उखड़ रही हैं मेरी अपनी सांसों से।

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6 APR 2022 AT 20:32

उसकी आँखों मे देखना मतलब।
खुद को दरिया में फेंकना मतलब।।

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18 MAR 2022 AT 9:23

आप सभी मित्रों को
होली की हार्दिक बधाई
💐💐💐💐💐💐

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9 FEB 2022 AT 17:33

बोझ यादों का उठाया न गया।
एक लम्हा, जो भुलाया न गया।।

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6 FEB 2022 AT 11:31

जादू की झप्पियाँ चला के आप सो गईं।
देदीप्य स्वरों का जला के आप सो गईं।।

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6 FEB 2022 AT 11:23

सूरज तो रोज उगता, रोज ढल भी जाता है,
पर आपका देदीप्य अटल और अमिट है।

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4 NOV 2021 AT 9:24

आप सभी को दीपावली की
मंगल शुभकामनाएं💐💐

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