लेकर प्यास रेगिस्तान की जानिब चला
छोड़ा मुल्क तो नुक़सान की जानिब चला
दिरहम का नशा ताउम्र खाता था बदन
दिल बूढ़ा ये हिंदुस्तान की जानिब चला
जब तक बाप का साया था' मैं ख़ुद्दार था
अब मजबूर मैं एहसान की जानिब चला
दोस्तों ने दुआ माँगी है मेरे क़त्ल की
सुन आवाज़ क़ब्रिस्तान की जानिब चला
टूटे जा रहा मीज़ान रिश्तेदारी' का
सब को छोड़ अर्रहमान की जानिब चला-
शब्दों को पिरोती हूंँ बहुत ही सादग़ी के साथ।
Kabhi... read more
उस ओर इश्क़ ख़ुमारी इस ओर सोगवारी क्यों है?
जिस ज़िन्दगी को ज़रा न चाहा वो हमारी क्यों है?
हीरे और मोती तो जड़े नहीं मेरे पत्थर से दिल में,
फिर बता जाना तुम्हारी बेवजह पहरेदारी क्यों है?
यह दिल तो पहले भी मेरा न था अब भी नहीं है,
मेरे जिसम में किसी और की हिस्सेदारी क्यों है?
कहती है मोहब्बत नहीं की उसने कभी किसी से,
झूठी नहीं मान लिया पर अब भी कुंँवारी क्यों है?
रूह की आवाज़ यकीं जुमले के मायनों का चाहे,
इश्क़ में सुकून है तो फिर यह शब बेदरी क्यों है?-
___बदला___
मैं बदल गया हूंँ
पहले सा न रहा,
समझने लगा हूंँ
तुमने क्या सहा।
फिर से आया हूंँ,
दूर कर के हया,
मरहम लाया हूंँ,
बनाके कुछ नया।
पुराने घाव थे जो,
उन्हें सहलाना है,
नया मर्ज़ भी तो,
तुम्हें लगवाना है।
गौर करो फिर से,
"दूर कर के हया"
"मैं बदल गया हूंँ"
"पहले सा न रहा"।-
तुम यादों की गिरफ़्त से निकल जाओ
मेरा लौट आना अब मुमकिन नहीं।-
मेरी उम्र का साठ हो जाना,
तेरी सोहबत का न हो पाना,
दुखता है सहन के परे।-
मेरी ख़्वाहिश के चन्द बोल,
काँच के बर्तन से चटक गए,
उन्हें उठाने को मैं झुकी जो,
समेटे क्या ख़ुद ही बिखर गए।-