Roushan Pathak  
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Joined 29 April 2021


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Joined 29 April 2021
2 FEB 2022 AT 19:06

कवि की कवयित्री

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29 OCT 2021 AT 21:51

कभी भी मिल सकतीं हैं निगाहें,
मुस्कराते रहें।

कवि की कवयित्री

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28 OCT 2021 AT 22:23

शाम में तुम्हारी तस्वीर देख,
सुबह हो गया हूँ।

कवि की कवयित्री

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27 OCT 2021 AT 18:48

आज तुममे ख़ुद को देखा है,
कुछ नया-पुराना लेखा है ।
गीत हो गए दिनों पुराने,
तुमपे जिसे उकेरा है ।।

कवि की कवयित्री

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26 OCT 2021 AT 19:04

चेहरा

(पूरी कविता अनुशीर्षक में)

कवि की कवयित्री

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25 OCT 2021 AT 19:28

है समझे तुम्हारे इशारे,
कुछ छिपी-छिपी सी रागिनी,
नाम हमारा लिख दो अब तुम,
प्यार लिख रही चाँदनी ।।

साथ,रात भर गीत तुम्हारे,
प्रेम दिवस पर लिखता जाऊँ ।
फूलों के गुलशन में छिपकर,
चाँद, रात भर दिखता जाऊँ ।।

देखो मेरी आँखों में अब,
सुबह लिख रही रागिनी ।

नाम हमारा लिख दो अब तुम,
प्यार लिख रही चाँदनी ।।

कवि की कवयित्री

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24 OCT 2021 AT 21:29

फूलों के पीछे तेरा छुप जाना,
कलियों सा यूँ मुस्कुराना ।
प्यार तुझे हार बार है करना,
नाम तेरा दोहराना ।।

              कवि की कवयित्री

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23 OCT 2021 AT 19:06

रौशन पाठक

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22 OCT 2021 AT 19:06

शब्द हैं, पर सुर नहीं।
याद है, पर तुम नहीं।
गीत है, उस प्रीत में,
साँझ की हर रीत में।

कवि की कवयित्री

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21 OCT 2021 AT 21:45

कुछ नहीं, बस
एक तरफ का प्रेम, और
एक तरफ का प्यार,
मुझे हर बार हरा देता है।
जीत,
हाँ, जीत
कभी मिलेगी प्रेम में...?

कवि की कवयित्री

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