रोशनी रावत   (@Words of roshni ✍️)
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Joined 14 May 2020


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Joined 14 May 2020
25 DEC 2024 AT 9:05

मायूसियों से घिरा इंसान
आज को भी कर देता हैं ख़त्म
कल की फ़िक्र में
आज कि खुशियां खो देता है इंसान
आज को भी जीना छोड़ कर
कल में ही अटका रहता हैं इनका मन
चाहकर भी कुछ ठीक कर न पाता है इंसान
समय के साथ भी चला जा सकता है कुछ पल
मायूसियों से घिरा इंसान
आज कि हंसी को गले लगा कर
आज में तो खुश रह ही सकता है इंसान

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19 DEC 2024 AT 23:16

खो गये ख़्याल मेरे
जब जज़्बात चकनाचूर हुए मेरे
न कोई रंजिश न कोई बैर मन मेरा रख पाए
सबको बस अपना ही माना और अपनापन ही जताए
मगर मुझको इस कदर तोड़ा है लोगों ने
न मुझको मुझमे रहने दिया
न मेरे ख्यालों को मुझ तक पहुंचने दिया
कुछ भी हाथ मेरे लगा
कल भी हाथ ख़ाली था
और आज भी हाथ ख़ाली ही रहा

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18 DEC 2024 AT 14:41


बिखर गया मेरा सबकुछ
उसका साथ आज भी न मिला
किस्मत का खेल है सब जिसको हमने छोड़ दिया
रब के खाते में हिसाब-किताब भी तो पूरा करना था

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18 DEC 2024 AT 14:32

हमदर्दी न जताओ
दिल को मेरे यूं न बहलाओ

मालूम है मुझको सब कुछ
यूं मुझको पागल न बनाओ

हाल ए दिल तो मेरा क्या ही जानो तुम
अपने आगे तुमको तो कुछ भी न नज़र आए

बखुबी जानते थे तुम टूटा है दिल मेरा,
फिर से टूटा दिल लेकर अब कहां जाए



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18 DEC 2024 AT 14:21


कई दफा़ रूखसत किया इस मोहब्बत ने मुझको
हाल बेहाल कर गर जातीं चहकते पंछियों का,
चेहरे की रंगत ही लुट गई, तबाह किया है इस मोहब्बत ने मुझको ।।

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8 APR 2024 AT 13:44

दिल की हालत ऐसी है
दिल की चाहत न पहले सी हैं
इंतजार के लम्हें अरसों तक रहें
मगर दिल को न चाहत मिली
न दिल में चाहत बाकी रही
अब कोई आए प्यार बेशुमार लाए
जब भावनाओं से ही दिल ऊब जाए
तब न प्यार न साथ इस दिल को भाए
सब बस एक ढोंग सा ही नज़र आए
इश्क़ ए राहों का अंत तय आरंभ से है
आरंभ से ही तय इश्क़ ए राहों का अंत है
दिल की चाहत ऐसी है
हर वफ़ा की बातें लगती दिखावटी सी हैं

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8 APR 2024 AT 13:30

आसमां हैरान हैं
लगती कोई गहरी बात है
इश्क़ में हारा कोई
या किसी की यादों से परेशा हैं
धीमे धीमे दिल मोम से पत्थर हुए जा रहा
ये आजकल का इश्क़ भी मतलब सा हुए जा रहा
आसमां भी हैरान हैं
हर कोई इश्क़ में और यादों से परेशा हैं

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3 APR 2024 AT 22:40

एक खिड़की से मैं
झांक रहीं मेरे दिल के अंदर ही मैं
न जाने कहां खुद को खोए बैठीं हूं
खुद ही को खोज रही हूं मैं
अरसों से मुलाक़ात न हुई मुझसे मेरी
अजीब-सी होती जा रही हूं मैं
दिल से मोम सी मैं
दिल को पत्थर सा किए जा रही हूं मैं
किसी की सज़ा किसी को दिए जा रही हूं मैं
एक खिड़की से मैं
खुद ही के अंदर झांक रही हूं मैं
खुद ही को खोज रही हूं मैं

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3 APR 2024 AT 22:35

दिल का दर्द दिल ही जाने
दिल को कहां बेरहम ज़माना जाने
दिल की मासूमियत खंडर सी हैं
अब दिल में भी दिल की ही कमी हैं

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25 MAR 2024 AT 22:57

मौन का संगीत सुनो
स्वयं को इतना शांत रखो
मौन में खुद से बात करो
शिकवा हो या हो कोई शिक़ायत
दिल से दिल की मौन से करो
मौन का संगीत सुनो

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