जन्म से लेकर अंत तक, तेरे सारे रूप निराले है!
कभी कोमल माँ जैसी तो, कभी तूने बेटी बन
कर घर के फर्ज़ों को सँभाला है।
फिर सयानी होने पर तूने अपनी ही घर की दहलीज को लाँघा है। तब दूसरे कुटुंब मे जाकर एक नया जगत बसाया है। पुराने रिश्तो को याद रखते हुए, तूने नए रिश्तो को भी अपनाया है। फिर किसी को जीवन देकर तूने जननी का दर्जा पाया है। सारा जीवन तेरा इन्ही रूपो मे निकला, कोई ना तुझे समझ पाया है! कि वास्तव मे क्या खोया तूने और क्या ही तूने पाया है...???❤️✍️
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