मेरे पास चुनने को,
शायद बहुत कुछ हो,
पर मैं तुमको चुनना चाहूंगी।
मेरे पास ख्वाबों के ढेर भले हो,
पर मैं तुम्हारे सपने बुनना चाहूंगी।
मेरे सामने कई हाथ फैले हो,
पर मैं हाथ तुम्हारा थामूंगी।
शायद हम ताउम्र साथ न रहे,
पर मैं साथ तुम्हारा मांगूंगी...।।।
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➡️चाय_दीवानी☕
➡️झुमके_वाली😚
एक दफा देख लेने की चाहत,
फिर से आपको सुन लेने का लालच,
आपकी अनुपस्थिति में,
आपसे बाते करने की आदत।
कभी कभी आपका कठोर हो जाना,
और कभी बेहद प्यार जताना,
मेरे मन का खालीपन,
पूरे घर का सूनापन,
आपकी याद रोज़ दिलाता हैं।
जब हार जाती हूं जिंदगी के मसलों से,
तब आपका गम में भी मुस्कुराना याद आता हैं।
ढूंढती हूं आपको रोज़ आंगन में कमरों में,
और अंत में खुद में ही आपको पा जाती हूं।।
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तुम घर हों मेरे,
मेरी खुशियों का ठिकाना हों।
बेचैनियाँ भी तुम्हारे लिए हैं,
सुकून का तुम पैमाना हों।
तुम्हारे होने से दुनियां रौशन है मेरी,
मेरे अंधेरे का तुम उजाला हों।
सारी शिकायते मिट जाती हैं मेरी,
सीने से जब तुम लगाते हों।
मुझे प्यार दिखता हैं आंखों में तुम्हारी,
अपनेपन का तुम खजाना हों...।।।
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पिता सबल हैं,श्रम हैं,
पिता हीं साथ हैं।
पिता अर्थ हैं,कर्म हैं,
पिता हीं अटूट विश्वास हैं।
पिता व्यवहार हैं,संस्कार हैं,
पिता हीं निर्माण हैं।
पिता कठोर हैं,अनुशासन हैं,
पिता हीं छांव हैं।
पिता आधार हैं,संसार हैं,
पिता हीं साम्राज्य हैं।-
मैं कहानियों की किताब सी हूं,
थोड़ी थोड़ी रोज़ पढ़ी जाती हूं,
होती हूं ज़ेहन में कुछ देर तलक,
फिर बिसरा दी जाती हूं,
सहेज दी जाती हूं मैं एक रोज़ यूंही,
फिर किसी अलमारी में बंद कर,
भुला दी जाती हूं।।।-
बिना आपके जिंदगी जी तो रहे हैं,
पर सूनापन दिल में अब भी लिए फिरते हैं,
माँ तकती है अब भी राह आपकी,
हम बच्चे आपकी छाया को तरसते हैं,
घर का हर कोना खाली लगता हैं,
अब तो त्यौहार भी फीके लगते हैं,
बिना आपके हर खुशी अधूरी लगती हैं,
नैन आपको देखने को तरसते हैं,
अब तो हर दिन ऐसे कटता हैं,
जैसे सदियां गुजरती हैं।-
मुलाकाते अब अधूरी सी लगती हैं,
ना जाने क्यों तेरा होना जरुरी सा लगता हैं,
मेरे ख्यालों में अब तू ही रहने लगा हैं,
ना जाने क्यों तुझे सोचना ज़रूरी सा लगता हैं।
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तुम सम्पूर्ण हों,
"और प्रेम तुम्हारा अनंत"
स्वतंत्रता से पूर्ण है,
"प्रेम तुम्हारा"
और तुम्हारा मेरा होना
"परिपूर्ण"-
कमज़ोर अभी वक्त हैं मेरा,
"मैं नहीं"
टूटी अभी हूं मगर,
बिखरूंगी मैं नहीं।-
जब कोई चांद देखता हैं,
कोई उसके दाग देखता हैं,
तो कोई उसके ख़्वाब देखता हैं,
किसी को शीतलता उसकी भाए हैं,
किसी को अमावस का इन्तजार होता हैं,
किसी को पूरे चांद में कमी दिखती हैं,
तो कोई आधे चांद में भी अपना प्यार देखता हैं।-