Roshan Singh   (Singh)
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Joined 28 April 2019


Joined 28 April 2019
14 HOURS AGO

प्यार करिए लोगों से अपनों से सपनों से प्रकृति से गोरे और काले रंगों से शब्दों से पुस्तक से सिर्फ प्यार ही कीजिए उम्मीदे नहीं, क्योंकि प्यार करने में ना तो कोई यूपीएससी जैसे इम्तेहान देने होते है और ना ही कोई Gst देना पड़ते हैं, प्यार करना सीखेंगे तो जिंदगी खुशनुमा होने लगेगी क्योंकि किसी दार्शनिक ने कहा है प्यार और खुशियां बांटने से बढ़ती है और ग़म बांटने से कम होते हैं, प्यार इसलिए भी करिए क्योंकि सबको परिवार नहीं मिले सबको उनके हिस्से का प्यार नहीं मिला सबके बुरे वक़्त में उन्हें सम्भालने वाले नहीं मिले सबको प्यार करने का सलीका और सबक नहीं मिले प्यार करिए क्योंकि प्यार देता है मांगता नहीं है क्योंकि प्यार सद्भावना रखता है उम्मीदें नहीं रखता

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14 HOURS AGO

✊ उठो, लड़ो, बढ़ो

ये वक़्त नहीं है डरने का,
है उठने का,
है लड़ने का।
तुमको है संसार विजय करना,
अपना सम्मान सृजन करना।
तुमको बनना तूफ़ान प्रबल,
तुमको बनाना है राह सरल।
ये वक़्त नहीं है मरने का,
ये वक़्त नहीं है डरने का,
है उठने का,
है लड़ने का।
जीवन से चुनकर मोती को,
है औरों को अर्पण करना।
ख़ुद को तेज प्रलय कर के,
जो पाना है, ख़ुद पाना है;
जो खोया है, खो जाने दो।
ये वक़्त नहीं है रोने का,
ये वक़्त नहीं है डरने का,
है उठने का,
है लड़ने का।
जो देखे हैं तूने सपने,
पूरे होंगे, जगकर रातों में;
थककर फिर इन रातों में,
ये वक़्त नहीं है सोने का।
ये वक़्त नहीं है डरने का,
है उठने का,
है लड़ने का।
ज़िंदगी की मौज है चलने में,
रातों को दिनकर करने का,
तारों की तरह चलने का।
ये वक़्त नहीं है थकने का,
ये वक़्त नहीं है डरने का,
है उठने का,
है लड़ने का।

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5 AUG AT 8:13

मैंने तुम्हारे रास्ते पर अपना सफर रक्खा है,
मैंने तुम्हारे रास्ते पर अपना सफर रक्खा है...
एक तुम हो, तुम्हे मुहब्बत करना तक नागाबारा है...
एक हम हैं, हमने नौक पर सर रक्खा है,
ये तोहफे है जो तुम्हारे दिल को नहीं छुते...
हमने तुम्हे खुश रखने को गिरवी अपना घर रक्खा है,
ये तो दिल है तुमसे मुहब्बत कर के बाज़ नहीं आता....
वर्ना मुहब्बत करने को तो सारा शहर रक्खा है,
मैं सोचता हूं तुम्हे भी मुहब्बत है हमसे....
मैं जानता हूं मैंने भ्रम रक्खा है,
लोग पढ़ते हैं दुआएँ, आयतें इश्क के लिए....
मैंने तो तुम्हें ही खुदा की जगह रक्खा है,
मैं तो चाहता हूं तुम्हें दिल में कैद करना,,,
डरता हूँ फिर तुम कहोगे मैंने तुम्हे कैदी बना रक्खा है"
मैंने रक्खी है झोपड़ी अपने रहने को
तुम्हें रखने को महल रक्खा है,
मैं सोचता हूं मुहब्बत मैं हूँ
मैं जानता हूं मैंने पीने को धीमा जहर रक्खा है,
मैंने तुम्हारे रास्ते पर अपना सफर रक्खा है

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12 JUL AT 9:30

सर कटाना पड़े या झुक जाना पड़े
आज़ादी जिन कीमत मिले सस्ती होती है

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12 JUL AT 0:05

इन अनगिनत अंधेरी रातों से गुजरते हुए पहुंचेंगे उन उजालों तक,
जहां सपने होंगे हकीकत में तब्दील होते हुए....

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10 JUL AT 17:53

किसी को समझाइश देने के लिए, कुछ बढ़िया सुनाने के लिए, किसी के सवालों को पूरा करने के लिए, पूरी करनी होती है दादी और नानी की कहानियां, जो महज कहानियां नहीं बचपन का वरदान है, हल करने होते है समझ और बूझ के सवाल जिनकी कक्षा लगती है रात के खाने के बाद जब एक परिवार दिन भर की बातों को साझा करता है, जब कोई बुज़र्ग पहेलियों की बारिश करता और हम ज़वाब देने की कोशिश में हार मानते हैं, जब माँ बच्चों को प्यार करना सिखाती है, जब आप अखबारों के वो पन्ने पढ़ते हो जो केवल समाचार नहीं है, जब आप पुस्तकों को तकियों से कमतर नहीं रखते, जब आप की समझ से हजार पर्दे उठते हैं, जब आप एकल विकाश की जगह सकल विकाश का रास्ता चुनते हैं, जब आपका जीवन जीत से ज्यादा इंसानियत का होता है, जब आप सहजता को ऊपर रखते हो अपने तेज से, जब आप हर रोज रत्ती भर जिंदगी सीखने का नजरिया रखते हो तब !

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6 JUL AT 18:35

चिडियों की तरह आजाद होने के, उड़ने के लिए ऊँचाइयों में परों को बेपरवाह फैलाने के लिए, जिन्दा रहने के लिए, इन सब से पहले सीखना पड़ता है परों को फैलाना, सीखनी होती है गिनती उड़ने और गिर जाने की,सीखना होता है मौसम की गर्मी, सर्दी और बारिश को गले लगाना, तूफान से लड़ना और अपनी भाषा में चि चि कर के दोहराना की यही तो है वह प्रकृति जिसे दुनिया जीवन कहती है

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6 JUL AT 18:33

अये फकीरी सजा है मर्ज है दवा भी है
जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है
उसे ही सब कुछ मिला भी है

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18 JUN AT 13:47

बुजदिलों की बातेँ करते करते
बुजदिली पर उतर आए हो
मैंने दो चार बातें क्या कहीं
तुम मारने मरने पर उतर आए हो
मैंने जब तक पढ़े कसीदे तुम्हारे हक़ में
तब तक सब ठीक था....
मैंने पर्दे हटाये तुम तो औकात पर उतर आए हो

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9 JUN AT 10:25

हमे मुहब्बत है जता नहीं सकते....
उसे अपना तो समझते है
पर बता नहीं समझते
और इन इश्क इश्क के बीच में कुछ कशमकश भी है
और मसला भी की हम छीन तो सकते है
हाथ फैला कर मांग नहीं सकते

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