सुना है आज कल खुशियां
बिकती हैं सरे बाजार,
फीके हैं मगर सारे रंग
जो न दे पाएं खुशियों की फुहार।
मगर देख नजर उठा के
एक झलक हमारी तरफ़
हमने भी तेरे रंगों को ही
अब बना लिया है अपनी ढाल
होंगे ऐ जिंदगी तेरे रंग हजार
मगर हमारी जो रंगत है
जिसपे लगी , नहीं छुड़ा पाएगा
कभी, चाहे ले ले जन्म हजार।
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