24 JUN 2017 AT 22:13

मर भी जाउंगी तो कोई पास रोने ना आएगा
मेरी ख़ातिर कोई दामन भिगोने न आएगा

इस क़दर अकेली हूँ मैं इस ज़माने की भीड़ में
खो जाउंगी जिस दिन कोई ढूढ़ने ना आएगा✍

- रूपम बाजपेयी "रूप" Writer Sahiba