नामचीन शहरों की भीड़ में कत्ल रोज़ तमाम होते हैं,
दुख-दर्द सबके हमशक्ल हैं, अलग तो बस नाम होते हैं।
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सुना करो अपनों को सब्र से, जल्दी में अकसर ज़रूरी किस्से छूट जाया करते हैं,
यूं ही आज से कल हो जाता है और व्यथा में व्यर्थ वक़्त से ज़्यादा इंसान नजर आते हैं।
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ज़िन्दगी लाजवाब है जनाब, बस इंसान को कदर नहीं है,
पहले बातों की फुर्सत नहीं थी अब फुर्सत में बातें नहीं हैं।-
पढ़ रहें हैं तुमको अखबार की किसी पहली खबर की तरह बेहद इत्मीनान से,
लिए हाथ में प्याली चाय की, एक हिस्सा है जिसका तुम्हारे लबों के इंतजार में।
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बैठ के एक रात बीती तमाम रातों के किस्से धौराएंगे,
जाने से पहले तुम्हे सौ बार ना जाने के लिए मनाएंगेl-
कुछ वक़्त से एैसे लापता हूं रातों में मैं के मानो नजरबंद हूं जैसे,
आज आफ़तब ने भी शक जाहिर कर दिया पूछ के कि 'रहते कहां हो?'-
खींच के यूं अचानक मुझे जोश में वो कुछ ऐसे मेरे होश से उड़ा गया,,
एक शाम हर्फ़ दर हर्फ़ होंठ से होंठ क्या टकराए, जीने का मज़ा आ गया।-
शायर तो मैं हूं मगर अर्ज़ वो क्या खूब करता है,
लगता है जैसे दवा कोई किसी मर्ज़ की करता है।-
दास्तां-ए-इश्क में दर्ज होने को बाकी बातें बहुत सी ज़रूरी हैं,
पर शुरुआती शर्त है कि दिल से दिल की जी हुजूरी बनी रहे।-
उतर तो जाए तुझमें, पर तेरा नशा बड़ा तीखा है,
साकी ने हाल फिलहाल में ही तो पीना सीखा है।-