Ronit HSSC   (©आकाश कुमार "सोनू"️✒️)
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Joined 16 July 2020


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10 MAR 2022 AT 20:37

ख्याल रहते हैं मेरे रात में परेशान आज भी
खुश नहीं, हूँ खुद से बेजार आज भी

ख्वाहिश करना चांद की गलत तो नहीं
तारे फिर क्यों है मुझसे उदास आज भी

जागीरदार का उसको देखो कुछ कबूल नहीं
उसके दिल को तो चाहिए जमींदार आज भी'

उदास नहीं मैं, की फितरत मेरे साथ नहीं
बस उसके दिल में होगा जमींदार आज भी

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10 MAR 2022 AT 7:17

ख्याल रहते हैं मेरे रात में परेशान आज भी
खुश नहीं हूँ, हूँ खुद से बेजार आज भी

ख्वाहिश करना चांद की गलत तो नहीं
तारे फिर क्यों है मुझसे उदास आज भी

जागीरदार का उसको देखो कुछ कबूल नहीं
उसके दिल को तो चाहिए जमींदार आज भी'

उदास नहीं मैं की फितरत मेरे साथ नहीं
बस उसके दिल में होगा जमींदार आज भी

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10 MAR 2022 AT 6:56

बोली..!!
मैं अब कैसी दिखती हूँ..??
.
.
अब क्या बताऊँ..??
कि, जिन नजरों को देख
पहली दफ़ा पागल हुआ था।'
खुदा कसम..
सुरूर आज भी वो ही है।।

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7 MAR 2022 AT 15:34

बरसात के बाद मीठी हवा जैसा है वो
मैं कातिल मगर गुनाह जैसा है वो

संगेमरमर उसे देख बस पीला पड़ जाए
विरान आशियाने में पनाह जैसा है वो

नवाबों की महफिल में देखो हमें ठुकराया गया'
मगर जानेमन जरा गिला जैसा है वो

तख्ते पलट तो दिल हमारे में भी हुई
उसे समझा तो जाना हाफिज जैसा है वो

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18 FEB 2022 AT 21:53

मुझे जो शायर कम बताया जाएगा,
शायरी में फिर नाम तेरा आ जाएगा..!!
दो लफ्ज़ बोल फिर चुप हो जाऊंगा....
देखना माहौल कुछ तब्दील हो जाएगा..!!

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18 FEB 2022 AT 21:30

मुकर जाने से तुम्हारे ज्यादा कुछ होने वाला नहीं
एक दफा रोऊँगा रोज मैं यहाँ रोने वाला नहीं

हीर की तरह मैं भी बदनाम-सा कुछ तो हुआ
रांझे के जैसे मगर काले डेरो में खोने वाला नहीं

हालात किस्मत वक्त फितरत सब ठीक है मेरे
लकीरों में शामिल शायद "मैं" तुम्हारे होने वाला नहीं

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18 FEB 2022 AT 21:16

तेरी आदत है ऐसी कुछ और तलब नहीं
तू कैसी है शहर में कुछ किसी को खबर नहीं

मुझे देख मुंह फेर यूं उदास हुआ ना कर
मेरे लफ्जों में तेरी उदासी का जिक्र नहीं

अजीब है तू "रात के आखिर में" याद करता है'
"तारों ने बताया" देख मुझको कोई खबर नहीं

मैं नहीं मगर तू मेरा चाहता होना नहीं
पहले सच्ची मगर तुमको अब झूठी फिक्र नहीं'

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12 DEC 2021 AT 20:46

बस थामें रखना
बस 'कुछ पल'

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9 DEC 2021 AT 9:12

वो आजकल मुस्कुराती बहुत है
देख आँखों से आँखें वो सताती बहुत है

दुश्वार सा हो गया है अब तो जीना अकेले
आजकल वो विरानो में याद आती बहुत है

माना कुछ नहीं हूँ मैं उसके लिए शायद
उसकी आँखें मेरे बारे में मगर बताती बहुत हैं

उसके शहर के लोग हबीब समझते हैं मुझे उसका'
ये बात पढ़ आंखें मेरी मुस्कुराती बहुत हैं

उसके होठों की साख्त में मुझे फलक दिखता है
बातें उसकी मगर ये राज छिपाती बहुत हैं

क्या तमहीद "सोनू" की जिंदगी में उसकी
रात में फिर भी मेरी आँखें उसे चाहती बहुत हैं

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5 DEC 2021 AT 20:14

ऐ दिल फिर क्यूँ तू परेशान है आजकल
चुप क्यूँ है तुझे किसकी तलाश है आजकल
मान जा अब तू यूं जाहिल ना बन
किस बात का तुझे आखिर गुमान है आजकल'

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