मुझे अब तुम्हारी ज़रूरत नहीं है
क्योंकि वो पहले सी उलफ़त नहीं है
नाराज़ हूं ,मगर जाने दो!
तुम्हे तो मनाने की फुर्सत नहीं है!!
उलफ़त~प्रेम-
बूढ़े बाप से अब अकेले कमाया नहीं जाता...
घुटनों का दर्द मगर चेहरे पर दिखाया नहीं जाता ।
और आज भी ये फर्क़ ही तो है समाज मे ..
बेटियों के भरोसे व्यापार बढ़ाया नहीं जाता !
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तारीफ़ किसी और ने की.....पसंद नहीं आई
की फ़िर इधर उधर की बातें....पसंद नहीं आई
और मोहब्बत हमें दोबारा हो सकती थी मगर
तुम्हारे बाद फ़िर किसी और की,आंखें पसंद नहीं आई!-
साथ ना होने की वजह एक यह भी है ..
उसे फ़ुर्सत में प्यार करना था
और मुझे फ़ुर्सत से!-
कोई सुंदर सा सपना बुना जाएगा...
एक वही फिर मेरे दिल को भा जाएगा!
मैं उससे नाराज हूं यह अलग बात है...
उससे मिलकर मुझे प्यार आ जाएगा।
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जिस रात हो तुम्हें रातभर इन्तिज़ार मेरा.. ऐसी कोई रात नहीं
वक़्त ,प्यार ,फ़िक्र , इज्ज़त समझने की.. तुम्हारी औकात नहीं !
और तुम क्यों खुदको फ़िर भी कीमती समझते हो ?
ये तो हमारी नज़रे है ...वर्ना तुम मे कोई ऐसी बात नहीं !
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आए तो आशिक़ बहुत थे मगर...
किसी ने भी इस दिल को छुआ नहीं!
तुम्हें देख कर मुस्कुराती थी मैं,
उन्हें देखकर कुछ हुआ नहीं!
तुम्हारे बाद फ़िर किसी और से... जब भी दिल लगाया मैंने
बस तुमको ही पाया मैंने,बस तुमको ही पाया मैंने-
रूठे हो मुझसे... आख़िर किस तरह मनाऊँ तुम्हें...
लाल, गुलाबी, नीला, पीला ...कौनसा रंग लगाऊँ तुम्हें?
फ़ूल, तोहफे,घूमना-फिरना ये सब तो नहीं पसंद तुम्हें ..
अच्छा सुनो! कस कर गले लगाऊँ तुम्हें?-
मेरा दिल पहले सा बे-क़रार भी नहीं है..
मेरा वक़्त तुम्हारे वक़्त का क़र्ज़-दार भी नहीं है!
यहां था, वहां था, ये काम था, वो काम था ..
अरे जाओ हमें तुम्हारा इंतिज़ार भी नहीं है!
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एक टूटा सा दिल जिसमे ख्वाहिशें भी ना हो...
एक मासूम सा चेहरा जिसपे रौनकें भी ना हो...
और इससे ज़्यादा बुरा इश्क़ में क्या ही होगा...
तुम रूठी रहो और मनाने की कोशिशें भी ना हो!💔— % &-