हिंदुओ अभी भी वक्त है, जाग जाओ
हिंदुओ अभी भी वक्त है, जाग जाओ
समय पथ पर सोचने वाले, संस्कृति ना भूल पाओ
अंग्रेजी सभ्यता के दास अब ना कहलाओ
अब इतनी पाश्यता की आधुनिकता ना अपनाओ
हिंदुओ पुन: शस्त्र उठाओ, शास्त्र उठाओ
भूल जाओ वर्णों की भाषा,
भूल जाओ मतभेद सभी
अर्थ कर्म में विचलित हो जो
उसे ना बस बनाओ, पथ एक
शर्म , शंका, भय को त्यागो
अब कोई बंदिशे ना रख पाओ
हुंकार भरो, जयकार भर
हिंदुओ अभी भी वक्त है, जाग जाओ
गौरवगाथा ऐतिहासिक अपनी
श्रयगान करो, गुणगान करो
वंचित हो जिन तथ्यो से
शिल्प का प्रयास करो
वेद, ग्रंथो की भाषा को ,
जोड़ने का प्रयास करो
सवपर्थम स्वयं को जानो
फिर असुरों का संहार करो
हिंदुओ पुन: हुंकार भरो
हिंदुओ अभी भी वक्त है, जाग जाओ
भूली भटकी राहों पर तुम ना अभिमान करो
हिंदुओ पुन: वेदों का ज्ञान करो
दम तोड़ती जो वेदों की भाषा
उसमे श्रमदान करो, शक्ति का आह्वान करो
चित चिंतन में चंचल हो जाओ
संस्कृति तुम अपनाओ,
पथ पथ बढ़ते चले जाओ
हिंदुओ अभी भी वक्त है, जाग जाओ
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