तुम मिलने जो नहीं आते हो
मैं तुमसे नहीं बोलूंगी पिया
पर ये पायल खन खन बोले है
तुम्हे बुलाए ये मिलने को पिया-
रात है, चांद है, और है तुम्हारा ख्वाब
काश तुम होते मेरे जैसे है चांद और ये रात
काश तुम रहते मेरे जैसे बादल और बरसात
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कितनी खुशियां हैं, कितने ही गम
चल रही है यूंही जीवन की सरगम
कभी रुलाती, हंसाती, नचाती है ये
थिरकते हैं जीवन की ताल पर कदम
अजब कश्मकश है जीते रहने की
कभी कभी इस से थक ही जाते हैं हम
पर संघर्ष का नाम ही तो है जीवन
यही परिभाषा ही निभाते है हरदम-
प्रेम की बारिश ये साजन सरीखी
छेड़ती, खेलती,भाती है मन को
भीग कर बरसात में इस प्रेम की
महका जाती है ये इस जीवन को-
आज खुले आसमान के नीचे
मुझे इतराने दे, लहराने दे
बंधी बंधी ज़िंदगी से परे
आज जिंदगी मुझे जी जाने दे
खोल कर गेसुओं को
खोल कर सभी जंजीरें आज
मुझे करने दे मेरे दिल की
मन को मेरे इठलाने दे
कब तक संभाल कर रखूं खुद को
आज मुझे भी आज़ाद हो जाने दे-
यादों की धुंध में रौशन है आज भी एक किरण
दूर से ही इस इश्क की चमक अब भी दिखती है-
पूनम की रात आने को है
चांद भी पूरा होगा, रात भी पूरी
मेरी रातें अमावस जैसी
आज भी अधूरी, कल भी अधूरी-
तुमसे सीधे सीधे कह नहीं पाती
मुझे तुमसे मुहब्बत है जाना
पर जब कहना होता है तुमसे ये
चाय पीने का बनाती हूं बहाना-
फिर पुरानी टपरी पर
उस गली के नुक्कड़ पर
समय की परवाह किए बगैर
रात दिन या कोई पहर
मिल जाना तुम यारा मुझको
चाय की चुस्की फिर साथ हो
वो गुज़रा दौर बुलाता है
वो वक्त बहुत याद आता है-