What if a writer goes out of words? What if he wait for days and weeks and still clueless on how to start? One who was fond of writing poetries, microtales, stories and even shayris so easily, What if you see him struggling hard in picking and playing with words?
In the world where everyone is accepting 10 years challenge so easily, be the one who takes 10 more years just to find his 10 years old pic to accept 10 years challenge.
उसकी आँखों ने न जाने कितनी दफ़ा हमे मोहब्बत के पैगाम भेजे, नादान थे हम उसके पैगाम-ए-इश्क़ कभी पढ़ न सके। मसरूफ थे मोहब्बत की तलाश में किसी और ही गलियों मे, और उनका रोज़ाना हमारे गली से गुजरने की वजह पहचान न सके।।
शाम हो गयी है आफ़ताब को जरा डूब जाने दो, शतरंगी रौशनी के जहान में, पक्षियों को सुर लगाने दो। हाथ में चाय की प्याली और लब्बों में पसंदीदा गीत, और इस बहते हुए लम्हे के साथ आज मुझे भीग जाने दो।।
बैठ जाओ, इतनी भी क्या जल्दी है, अभी तो नशीली शाम बाकी कुछ आधी है। अभी ही तो नशा-ऐ-शराब मुझसे गले मिलने आयी है, अरे अभी ही तो मेहफिल हमारे इर्द-गिर्द लहराई है।।
चले जाना वापिस बस कुछ पल बैठो तो ज़रा, जाम से जाम टकरा नशे से मिलो तो ज़रा। शबाब सर चढ़ गया थोड़ी शराब चढाने में कोई नहीं गलती है, अरे बैठ जाओ, इतनी भी क्या जल्दी है?