Rohit Upadhye   (rohit_upadhye✍️)
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Joined 16 April 2020


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Joined 16 April 2020
1 APR AT 1:31

तू बिछड़ने की ख़्वाहिश पास लिए बैठा है,
पर ये दिल तुझें पाने की आस लिए बैठा है।

यूँ तो पीने को सारा समँदर है पास मेरे,
पर प्यासा बस तेरी प्यास लिए बैठा है।

बीच राह रिश्ता तोड़ दे, हम वो नहीं,
ये पागल, मोहब्बत रूह के पास लिए बैठा है।

जो बिछड़ा तो फ़क़त इतना याद रखना,
यार तेरा सीने में चंद सांस लिए बैठा है।

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5 JUL 2022 AT 12:14

तारों की बरसात होगी,
तू मेरे जब साथ होगी।

रात भर ख्वाब में आ रही तू मेरे,
एक रोज़ तो रूबरू आ कभी तू मेरे।
आ कभी तू मेरी धड़कने सुन भी ले,
इस बहाने से ही लगजा गले तू मेरे।

फिर ख़ुद की आवाज़ सुन के,
तेरी खुद से बात होगी,
तारों की बरसात होगी,
तू मेरे जब साथ होगी।

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11 FEB 2022 AT 23:31

मेरे सपनें अपनी मंज़िल खो रहे हैं,
सुना है उसका रिश्ता तय हो रहा हैं।

बिना उसके कैसे होगा गुज़ारा मेरा,
मुझें आजकल ऐसा भय हो रहा हैं— % &

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29 AUG 2021 AT 13:45

बड़ा अजीब सबूत माँगा है उसने मेरी मोहब्बत का,
कहती है प्यार करते हो, तो मुझें भूल के दिखाओ।

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28 JUL 2021 AT 10:29

एक शख़्स दूर से बेहद सुंदर लगा मुझें,
पास से देखा तो एक खंज़र लगा मुझें।

बातों से इश्क़ के बग़ीचे का माली था,
दिल में देखा तो बेहद बंज़र लगा मुझें।

देता रहा मुझें वो दुआएँ हर लफ्ज़ में,
पीठ पीछे बद्दुआओं का साग़र लगा मुझें।

कहता था तुम मेरे दिल में उम्रभर रहोगें,
पर अंदर से वो जला हुआ घर लगा मुझें।

एक से मोहब्बत उसकी फ़ितरत में नहीं,
वो मासूम चेहरा बड़ा सितमगर लगा मुझें।

वो किसी के इश्क़ के क़ाबिल तो न था,
पर ना जानें कैसे मेरा मुक़द्दर लगा मुझें।

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27 JUL 2021 AT 9:45

तुझसे औऱ ज़्यादा मोहब्बत करता हूँ,
जब मैं तेरी इन गलियों से गुज़रता हूँ।

पूछें कोई के किससे मोहब्बत है मुझें,
तो सामने सब के कहने से मुकरता हूँ।

लिख देता हूँ मैं अपनी शायरी में तुझें,
ज़माने से रूबरू तुझें मैं यूँ करता हूँ।

मिला नहीं अब तक मेरा हो के मुझसे,
सोचता हूँ मोहब्बत तुझसे क्यूँ करता हूँ।

बीते लम्हें परोसता हूँ अपनी यादों में,
बिन तेरे मैं अपना गुज़ारा यूँ करता हूँ।

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19 JUL 2021 AT 12:36

जब कोई चाहें के मोहब्बत कर जाए,
इससे तो अच्छा है यार वो मर जाए।

जिसे हम चाहें वो किसी ओर को चाहें,
तो बताओ यारों फ़िर हम किधर जाए।

तुमसे बिछड़ कर इस मुक़ाम पर आ गए,
के दिल ना धड़के औऱ साँसें गुज़र जाए।

ख़्वाबों में भी जब मिलों तुम मुझकों,
तो मेरी नज़र भी ना फ़िर तुम पर जाए।

तुम बिन ज़िंदगी अधूरी सी लगती है,
अब तो बस ज़िंदगी खत्म कर जाए।

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3 JUN 2021 AT 16:46

वो शिकायतें करता रहा हमनें करने दी,
हमनें इश्क़ क़ायम रखा क्या ये कम था।

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5 MAY 2021 AT 16:15

जब ख़्वाबों में तुम्हें बसाया है,
तो मेरी बाहों में कोई औऱ क्यूँ आए।

मान लिया है मैंने मंज़िल तुम्हें,
तो मेरी राहों में कोई औऱ क्यूँ आए।

तुम ही हो मेरी सुबह औऱ शाम में,
तो मेरी रातों में कोई औऱ क्यूँ आए।

तुमसे शुरू तुम पे ख़त्म मेरी बात है,
तो मेरे एहसासों में कोई औऱ क्यूँ आए।

तुम्हें अपने आस पास महसूस किया है,
तो मेरे जज़्बातों में कोई औऱ क्यूँ आए।

कर ली है तुमसे ही बस मोहब्बत मैंने,
तो मेरी मोहब्बतों में कोई औऱ क्यूँ आए।

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29 APR 2021 AT 11:46

गर मोहब्बत होगी उसे तो वो आ जाएगा,
वरना मुझें भुलाने में उसका क्या जाएगा।

अभी रहता है मुझसे वो कुछ ख़फ़ा ख़फ़ा,
जब आएगा तो वो मेरे दिल में समा जाएगा।

उसकी यादों से कहो कि मेरे पास ही रहे,
उसके बिना ये आशिक़ फ़िर कहाँ जाएगा।

जो पता चले तो बताना उसके घर का पता,
ले कर अपना ये दिल दीवाना वहाँ जाएगा।

कई दिनों से मैंने सुना नहीं है उसके बारे में,
क्या कोई उसका हालचाल मुझें बता जाएगा।

उसके तरफ़ से कोई जवाब अब आता नहीं,
क्या एक बार वो बता के मेरी खता जाएगा।

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