Rohit Tomar   (©️hemical🧑‍🔬Enginee®️)
1 Followers · 1 Following

Joined 12 January 2024


Joined 12 January 2024
23 APR AT 18:16

पहाड़ों पर बर्फ़ के धब्बे बचे हैं
ज़मीन पर लहू के

मैं पहाड़ों के क़रीब जाकर आने वाले मौसम की आहट सुनता हूँ
ज़मीन के सीने पर कान रखने की हिम्मत नहीं कर पाता!

#alleyesonpahalgam

-


23 APR AT 18:00

चिनार के पेड़ अब खारे उगेंगे
अब सींचे जा चुके हैं उन्हें हमारे आँसुओं से।

वो तब तक रहेंगे खारे जब तक उनकी जड़ें बदली नहीं जाती।।

(ये काल भारत और भारतीयों के एक होने का है।
अगर कोई भी आपको इसके इतर बता-सीखा रहा है तो वो द्रोही है)

#alleyesonpahalgam

-


29 MAR AT 20:35

और फिर एक दिन ख़त्म हो ही जाता है
चुनौती से बचने बचाने का खेल,
विपत्ति को टालते रहने का सिलसिला।

हम खुद को ठीक उनके सामने पाते हैं।

आश्चर्य है - डर मिट जाता है।
लड़ने की हिम्मत पनप उठती है।

-


29 MAR AT 20:28

और फिर एक दिन ख़त्म हो ही जाता है
चुनौती से बचने बचाने का खेल,
विपत्ति को टालते रहने का सिलसिला।

हम खुद को ठीक उनके सामने पाते हैं।

आश्चर्य है - डर मिट जाता है।
लड़ने की हिम्मत पनप उठती है।


But we cannot simply sit and stare
at our wounds forever.

-


23 MAR AT 21:21

मैं चाहता हूँ दुनिया के हर इंसान के पास
एक ऐसा इंसान होना चाहिए
जिससे वो कह सके की वो ठीक नहीं है
और फिर वो सामने वाला इंसान उसके साथ
इस खोज पे निकले की वो ठीक क्यों नहीं है? क्योंकी, मैं ठीक नहीं हूँ ये कहने वाले को
कई बार ठीक ठीक पता नहीं होता
की वो ठीक क्यों नहीं है?

-


15 MAR AT 11:31

चार रंग मैंने लिए-हरा, नीला, गुलाबी, लाल।
जल्दी में चल रहा था, सो ठोकर से गिर गया।

घर पहुँचा तो माँ ने पूछा-"रंगों का क्या हुआ?"

"नीला उड़ गया आकाश में, हरा पेड़ पे जा गिरा।
फूल कई खिले हुए थे, लाल उनमें मिल गया।"

माँ मुस्काई, जान गई,कि मैंने सब कहीं गिरा दिए।
बात सही थी, पर वो नहीं जानती थी ,
कि थोड़ा गुलाबी रंग मैंने बचा लिया था ।

गोरे-गोर गाल पे उसके, फिर छुपके से मैंने वो लगा दिया ।।

-


15 MAR AT 11:25

लोग अगले ही दिन भूल जाते हैं
कि कल कोई उत्सव भी था
लोग कितने प्रतिबद्ध हैं
अपने-अपने दुखों में लौटने के लिए!

-


8 MAR AT 16:05

वे कहते हैं, तुम कमजोर हो
तुम्हें चूडिय़ां पहन लेनी चाहिए..

अब उन्हें कौन समझाये..
चूडिय़ां श्रंगार का हिस्सा हैं
कमजोरी की निशानी नहीं..!

#Internationalwomen'sday❤️

-


11 JAN AT 19:16

कितना कुछ था दुनिया में दिल से लगाने को।
लेकिन मैंने - तेरे न होने का ग़म चुना।

कितनी आशाएँ, कितने इंतज़ार थे-
जिनके बल पर आगे बढ़ा जा सकता था।

लेकिन मैं ठहरा हुआ हूँ इस ही दर्द पे कि
कोई भी आशा कितना भी इंतज़ार -
तुझे मुझ से मिला नहीं सकता है।

इसी बात पर फैज़ साहब का एक शेर याद आ रहा है..

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी।।💔

-


31 DEC 2024 AT 14:42

यूँ उग आना जैसे धूप का सर्द-ए-दिसंबर में।

तुम्हारा बस होना इतना आराम देता है।।

-


Fetching Rohit Tomar Quotes