मेरे अंदर एक इंसान है,
थोड़ा पागल सा थोड़ा बावला नादान है।
इस दुनिया से दूर खुद की खोज में परेशान है,
खुद की तस्वीरें लेता खुद से बातें करता वह मनचला इंसान है।
अगर कभी हो जाए उससे गलती तो खुद को समझाने में महान है,
हां, मेरे अंदर एक इंसान है।
उसे अकेले रहना खुद से गुफ्तगू करना मन की भावनाओं को पन्नों पर सजना
उसकी यह पहचान है,
सच में अतरंगी सा बावला थोड़ा पागल सा मेरे अंदर एक इंसान है,
हां, मेरे अंदर एक इंसान है।
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