ये जमाना, ये महफिल - मैखाना !
इन सब से कहीं दूर करेंगे अपने प्यार का फ़साना-
आवारा हूँ
या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ
आवारा हूँ
मधुरस पी कर उर जाने की शरारत तो भौंरे करते हैं,
हमने तो उस फूल में सदैव रहने को मकड़ियों सा एक धागा बांध दिया।-
खुद के ही जीवन की कभी खत्म न होने वाली पीरा हूं मै।
फुर्तीले परिंदों के शहर में, एक कमजोर कीड़ा हूं मैं।
उजाले के चिलमन के पीछे छिपा अंधेरा हूं मै।
बेसुध हूं..... लक्ष्य हीन भी,
जो खुद को ही काटे वही तत्व हीरा हूं मै।
बस तुकबंदी के लिए जो पंक्ति को डिप्रेसिंग कर दे😬, वही मॉडर्न डे कबीरा हूं मै।-
जीवन में है लड़की का अभाव।
देती नहीं हो मूझको भाव।
डूब रहा जवानी का नाव।
दोस्तों करो इसका बचाव ।
ना जाने क्यों लगा ऐसा ठहराव।
सोच ये बढ़े मेरे दिल का घाव।
करके उनपर वशीकरण का छिड़काव।
छोडूंगा उनपर अपना प्रभाव।
और करूंगा कम अपने जीवन का तनाव।-
कुछ दिन और रहेगा,
सिर पर मेरे बाल।
फिर जग में सब कहेंगे,
"देखो आया चंडाल।"
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Hoon main shayar kangaal.-
आज फिर मैं तेरी गली में आऊंगा।
कुछ था जो पीछे रह गया,
उसे मैं आज जलाऊंगा।
जब तक चलेगी सांसे मेरी,
उस गली में हाजरी लगाऊंगा।
बिकता है उधर गांजा कड़क,
खुद भी पियूंगा और दोस्तों को भी पिलाऊंगा।
आज फिर मैं तेरी गली में आऊंगा।
आज फिर मैं तेरी गली में आऊंगा।।-
शायरी के नाम पर
ऐसी गंदगी फैलाऊंगा,
कि भयातुर हो जाएँगे लोग
कुछ ऐसा कहर बरसाऊंगा,
कर आतंकित हिंदी लेखन को मैं
ऐसी घातक चोट पहुँँचाऊंगा,
कि जब भी सजेगी शायरों की महफ़िल,
तो मैं सौतेला-ए-गालिब कहलाऊंगा।
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लोगों को लिखता देख,
मै भी घोड़ी चढ़ गया।
भौकाल मचाने की सोच,
तुकबंदी घटिया कर गया।
उनकी शायरी तो चल गई,
पर कचरा मेरा बन गया।-
शायरी लिखूंगा इतना गन्दा
थूकेंगे सारे लोग,
कि शायर करेंगे आत्महत्या
फैलेगा ऐसा रोग।-