रोहित सिंह धाकड़   (ROHIT DHAKAD)
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Joined 28 October 2017


Joined 28 October 2017

यूं कशमकश भरी चल रही है ज़िन्दगी,
इस पार रहूं या फिर उस पार जाया जाए,
मुस्तकबिल देखूं या अपना आज बनाया जाए।
फिर ख़्याल आता है अपनी खुदगर्जी का,
कि एक आखिरी बार और जोर लगाया जाए।

زندگی ایسے ہی گزر رہی ہے،
اس طرف رہو یا اس سے آگے جاؤ
آج ضرور دیکھیں یا اپنا بنائیں۔
پھر آتا ہے اپنے مفاد کا خیال
ایک آخری بار زور دینے کے لیے۔

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समझ नहीं आया वो क्या क्यों और कैसा था,
मुझे देख तेरा पीठ फेरना मेरे मरने जैसा था।

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-प्रीत बाबरी-
प्रेमवश ही मीरा ने पिया विष प्याला,
सारा जग लगा प्रीत बाबरी बताने में।

प्रेमवश प्रभु राम खाये सबरी के झूठे बेर,
है इनसे बड़ा कोई उदहारण जमाने में।

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( ब्रज भाषा )
प्रेम का भाव वो का जानें,
जाने कबहूँ न करयो प्यार।
तू चाह मोहे तौ मै चाहूं तोय,
ये प्रेम नाहीं, ये है व्यापार।

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( बृज भाषा )
प्रेम करे सो बाबरा,
कर छोड़े सो कुकूर,
या तो करके निभाईयो,
या रहियो याते बहोत दूर।

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एक दिन ज़िन्दगी दो-राहे पर लाकर खड़ा कर देगी इसका इल्म था हमें लगातार,
क्या ज्यादा ज़रूरी है, प्यार से परिवार या परिवार से प्यार।
किसी समझदार से सलाह लेना मुनासिब समझा जिसने देखे हों बसंत दसियों बार,
नज़दीकियां ज़रूरी नहीं होती इश्क़ में, कुछ मामलों में ज़्यादा जरुरी होता है इंतज़ार ।

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घाट घाट का पानी पीना,
बात बात पर रंग बदलना,
तेरे वास्ते आसान है क्या,
किसी एक कि बन कर रहना
सिर्फ एक से मुहब्बत करना।

گھاٹ گھاٹ سے پینے کا پانی ،
اس معاملے پر رنگ تبدیل کریں ،
کیا یہ آپ کے لیے آسان ہے؟
ایک ہونا
صرف ایک سے محبت کرنا۔

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मशगूल कर लिया खुद को इतना कि
कौन थी तुम, तुम्हारा क्या नाम था,

ज़िन्दगी से फुरसत मिली जो कभी
सोचेंगे इश्क़ का होना यही अंजाम था,

दबे पांव नहीं किया जो भी किया मैंने,
मेरी दहलीज पर आये सब सरेआम था,

नाम सुनते रूह कांपती है अब मेरी,
मेरी इश्क का शायद यही एक मुकाम था।

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फंदा बन जाये जब रिश्ता कोई,
फंदा तोड़ देना चाहिए।
जब ज़िन्दगी दोराहे पर हो खड़ी,
नया मोड़ देना चाहिए।
तुम्हारे प्यार को ही न समझे वो,
हाथ छोड़ देना चाहिए।

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उसका गणित कुछ ज्यादा ही कमजोर था
अगर दो घण्टे तक बात हो ना हुई तो
गुस्से में दो दिन तक बात नहीं करती थी

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