Rohit ShivSaroj Bhartiya   (...RC...)
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Joined 5 September 2020


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28 JAN 2023 AT 11:43

तुम और हम

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28 JAN 2023 AT 11:35

जो बीत गया वक़्त, वो बीत गयी ज़िंदगी
जो आयेगा वक़्त, उससे बेख़बर है ज़िंदगी
जो आज इस वक़्त में है, बस यही है 'ज़िंदगी'

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26 MAY 2022 AT 18:51

छोड़ दे सारी उलझने बंदे
क्यूं उलझा है तानों बानो में,
बस साँसों का किस्सा है सबकुछ
ग़र ये हैं तो जान है जान में,
वर्ना अपने ही जलाकर आयेंगे
तुझको सब श्मशान में।

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26 MAY 2022 AT 18:42

तुम रूठते हो तो ज़िंदगी रूठ जाती है
हर गम अपना सा लगता है
हर खुशी पीछे छुट जाती है,
यूं रूठा ना करो छोटी-छोटी बातों पर
मेरी जान मैं तुम्हारी हर बात मान लूँगा,
इस कदर इम्तिहां ना लो मेरे प्यार का
तुमसे मोहब्बत इस कदर है
मैं तुम्हें घूंघट में भी पहचान लूँगा।

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3 MAY 2022 AT 19:53

मैं किसी आँधी या तूफान से नहीं डरता
मेरे पीछे एक ताकत खड़ी है,
चंद पंक्तियों में उन्हें बयां नहीं कर सकता
वो एक बहुत बड़ी हस्ती हैं,
प्यार बेइंतहा है हमें इक दूजे से
मगर न मैं कहता हूँ न वो कहते हैं,
जान बस्ती है उनमे मेरी
वो महान शख्सियत मेरे "पिताजी' हैं।

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3 MAY 2022 AT 19:22

एक बेटे का पहला प्यार होती है
उसकी 'माँ'
और एक माँ का आखिरी प्यार होता है
उसका 'बेटा'

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3 MAY 2022 AT 18:26

तेरे साथ बिताया हर लम्हा,
तेरी यादें हैं तो जिंदा हूँ मैं
वर्ना मर जाता होकर तन्हा।

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2 MAY 2022 AT 10:30

हम नहीं जानते हमारा उदासी से रब्त क्या है,
दे जाये लब पर मुस्कान कोई वो शब्द क्या है,
पूछते हैं वो तो क्या बतायें उन्हें
हम खुद ही नहीं जानते हमारी उदासी का सबब क्या है।

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1 MAY 2022 AT 10:45

मतलबी क्या जाने प्यार का मतलब
बेवफ़ा क्या जाने वफ़ा क्या होती है,
जिसे हर मोड़ पर मिल जाएं नए आशिक
उसे किसी एक की कदर कहां होती है।

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30 APR 2022 AT 19:37

हर ख्वाब पूरा होकर ख़त्म हो जाता है
फ़िर कहाँ ज़िंदगी जीने का मज़ा आता है,
यूँही बैठे बैठे नहीं बसर होती ज़िंदगी साहब
हों ख्वाहिशें अगर तो जीने का मज़ा आता है।

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