थका हूँ मैं एक अनजान सफर से,पर मंज़िल के ख़्वाब टूटे नहीं,ना जाने कितने मुसाफ़िर पीछे छूट गए,पर मेरे हौसले अभी टूटे नहीं......! - उन्मुक्त स्याही "SaaR"
थका हूँ मैं एक अनजान सफर से,पर मंज़िल के ख़्वाब टूटे नहीं,ना जाने कितने मुसाफ़िर पीछे छूट गए,पर मेरे हौसले अभी टूटे नहीं......!
- उन्मुक्त स्याही "SaaR"