ना समझ थी मुझे प्यार की, जो मैंने इसे खेल समझ लिया,तोड़ दिया था दिल मैंने उसका, लेकिन वो खुद कितनी टूट गयी ये पता ही ना चला - उन्मुक्त स्याही "SaaR"
ना समझ थी मुझे प्यार की, जो मैंने इसे खेल समझ लिया,तोड़ दिया था दिल मैंने उसका, लेकिन वो खुद कितनी टूट गयी ये पता ही ना चला
- उन्मुक्त स्याही "SaaR"