मेरी मृत्यु के बाद मेरे शरीर कि
सारी आस्थियाँ निकालकर
मेरे राष्ट्रीय के तिरंगे के लिये
मेरी आस्थियो के छोटे छोटे टुकड़ों को जोडकर
एक लम्बा डंडा बना देना
ओर उस डंडे पर मेरे हिन्दुस्तान का
तिरंगा झंडा फहरा देना ।
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हजारों कफन डालने से अच्छा है
मेरे जिस्म पर मेरा तिरंगा सजा देना ।-
तामाशा , तकलीफ , तनहाई ,तजुर्बा
हमारी जिदंगी के चार सबसे बडे शिक्षक ।-
बुरा होना कोई गुनाह नही है
साहब गुनाह है ,बुरा बनकर हमेशा
बुरा ही बने रहना ।
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शीर्षक
समय बदलगया
वो टपकती झोपड़ी मे
सुकून से बीता पल
आज याद आता है ।
वो प्रातःकाल मुर्गे का बाँग देना
वो कच्चे घरों मे गोबर पोतना
वो रिश्तेदारो को देख छुपना
वो बापू का बिना वजह धो डालना
आज याद आता है ।
वो घेर मे चार भाइयों का सुबह शाम रोज हुक्का पीना
वो दुसरो के दुख मे भागीदारी बनना
वो विश्वास से सजाया गया हर एक पल
आज याद आता है ।
वो भुखे पेट भाइयों के साथ
लड़ झगडकर सो जाना
सुबह होते ही फिर एक हो जाना !
वो गाँव मे किसी के यहाँ मृत्यु हो जाने पर
पुरे गाँव का शौक मनाना
आज याद आता है ।
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जिदंगी में सारी उम्र
भटकने से अच्छा है
आप वह राह तलाशे
जो आपको सफलता
कि ओर ले जाये ।
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कभी उस शख्स का भी
हाल चाल पुछ लिया करो
ऐ दुनिया वालो
जिसने जिदंगी मे
जरूरत के चलते
अपने अरमानों को
अपने हाथो से जलाया हो
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ऐ जिदंगी बता ,मुझे ओर कितने ,
एहसानों के नीचे दबना होगा
एक तुझसे ऊपर उठने के लिये ।-
जिस दिन भारत का हर एक कवि
चंद सिक्कों मे बिक जायेगा !
उस दिन हिंदी भाषा का भारत से
अस्तित्व मिट जायेगा ।
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