पुरुष का जीवन भी गजब ही होता है।
ना वो अच्छा बेटा बन पाता है क्यूंकि वो तो शादी के बाद बदल गया है ।
ना वो अच्छा भाई बन पाता है क्यूंकि वो तो भाभी का हो गया है।
ना वो अच्छा पति बन पाता है क्यूंकि वो तो मां का लाडला है।
ना वो अच्छा पिता बन पाता है क्यूंकि वो तो कुछ समझता ही नही है।
और ये सब बनने में वो खुद को खो देता है।
और फिर दुनिया के लिए वो सिर्फ एक उलझा हुआ पुरुष ही रह जाता है।
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