ये बारिश की बूंदे और मन की बातें
दोनों बेधड़क, बेबाक गिर रहीं हैं
कुछ अनकही बातें बार बार बह रही हैं
नासमझ मन बार बार कुछ झूठ को ना जाने क्यों सच बनाने में लगी है
मौसम बदल रहा है पर नाजाने क्यों मन मानने को तैयार ही नहीं है
मन है की मैं भी मौसम की बातें मान लूं और मौसम की तरह मैं भी मौसम बन जाऊं,,,,,,,,,,,,,,,,
की ये बारिश की बूंदे और मन की,,,,,,,,,-
Rohit Rai
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Joined 24 February 2020
23 JAN 2022 AT 1:35
4 NOV 2021 AT 10:59
तेरे रूह को मेरे रूह से जुदा ना कर
तेरे बगैर सांसें लेना मुझे गवारा नहीं-
11 OCT 2021 AT 10:50
हम मंज़िल की तलाश में भटकते हैं
और मंज़िल किसी और की तलाश में
बस लाना है वो वक्त जब दोनों को
एक दूसरे की तलाश हो-
29 SEP 2021 AT 22:46
समुंदर ने सर झुकाकर दरिया से पूछा
कि बह लूं मैं भी तेरे साथ
दरिया इठला कर बोली
तेरी औकात नहीं.,,,,,,-
17 SEP 2021 AT 13:24
यूं ही दर-ब-दर भटकते हैं हम
ये नहीं की आस नहीं है
ये भी नहीं कि प्यास नहीं है
बस भटकते हैं कि किनारा मिल जाए,
किसी खास का सहारा मिल जाए
कि ठहर जाऊं मैं ,ऐसे दरिया का साहिल मिल जाए-
10 SEP 2021 AT 0:18
सुनो,,जब वक्त मिले तो मिल लिया करो
कि वक्त का नहीं पता, कौन कितना आगे निकल जाए-
24 AUG 2021 AT 15:56
Respect,vale ,time and attention give those who deserve it.
Don't give these things to those who don't reciprocate the same.
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