धन्य हो नागपुर वालों जो बसें गणेशटेकडी के पास
लेकिन बढ़भागी हो मे जो बसा काशी गंगा के घाट-
जिस की जटा से गंगा बहे जिसके त्रिशूल पर काशी बसे जो काशी... read more
ये जिन्दगी की भाग दौड मै जैसे मै दिन भर भटकता हू
ठीक वैसे ही काशी विशवनाथ की एक झलक के लिऐ मै हर पल हर दिन तरसता हो-
किनारा किनारा ही रहेगा
गंगा चंचल सी बहती रहेगी
और घाट हमेशा इन्तिज़ार में रहेगा
मणिकर्णिका हमेशा जलती रहेगी
बस प्रेम सब का ऐसे ही अधूरा
रहेगा-
16_अप्रैल
महादेव✋
राधे राधे....
कैसी हो?
तुम जानते को क्या मुझे?
नही तुमने ही रिक्वेस्ट भेजी थी
मैंने?
हा
गलती से गया होगा मैं नही जानती आपको....
और मैं किसी से बात नही करती....
अच्छा! ठीक है सॉरी तुम unfriend कर दो फिर या रुको हम ही कर देते है😊
अरे कोई न.... हम बात कर सकते है तुम अच्छे इंसान लगते हो मैं बनारस से हु☺️
और तुम?
Oh thanq मैं दिल्ली .....💐
शुक्रिया मुझे इस काबिल समझने के लिए....
हमारी पहली गुफ़्तगू.... 3 दिन हो गए आज वक़्त कैसे बीत जाता है पता भी नहीं चलता है ना अप्रैल बहुत पसंद है मुझे😊
-पंडिताइन-
कभी हया से ग़ुलाबी कभी गुस्से में लाल देख कर,
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उड़े है रंग गुलाल के किसी के गाल देख कर..!
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उठती है इबादत की खुश्बुएँ, मेरे इश्क से..
जैसे ही मेरे होंठ, छू लेते है तेरे नाम को....!
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फिर तेरे चेहरे की उदासियाँ पढ़कर
तुझे हँसाने की नादान कोशिशें करते रहना
तेरी आँखों की नमी को मुस्कुराहटों में तब्दील करना
मुझसे नहीं होगा।
तू किसी ख़्वाब-सा आया था नींद में जैसे
जा, गुजर जा किसी पतझड़ की तरह
तेरी यादों में भटकना, तुझे याद करके रोना
मुझसे नहीं होगा।
थामना हाथों को मेरे आदतों में तेरे था
सीने से लगकर रोना भी तेरा झूठ था शायद
तेरे झूठे वादों पर तुझे टूटकर चाहना-बिखरना
मुझसे नहीं होगा।
लौट जा उन किनारों पर जहाँ घर हो तेरा
हार कर तुझ तक बार-हा आना
तुझ पर एतबार करना, तुझे फिर से प्यार करना
मुझसे नहीं होगा।
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तुम गंगा हो, हम बनारस हैं। हम इंतज़ार करेंगे तुम्हारी लहरों का कि किसी रोज तुम सीढ़ियाँ चढ़ कर आओगी और हमें छू कर कहोगी... "ऐ! बनारस; तुझसे मोहब्बत है।"
तुम वह गंगा बनी रहना जिसे सिर्फ बहना आता है, हम बनारस बने रहेंगे। तुम्हारे एक किनारे पर हमेशा, अपने ख़्वाबों के साथ... तुम्हारे इंतज़ार में। ❤-