नई लकीरे कई बार बनाई है, पुरानी से जोड़ते हुए पर जीवन मे एक भी नही उतरी। सोचा की सारी पुरानी मिटा दी जाए, ये असंभव क्यूँ सोचा पता नही। सारी लकीरें मिटा भी नही सकता। नई लकीरें बना भी नही सकता। ये निश्चित है।
थोड़ा ज्यादा पाने की कोशिश में काफी थोड़ा खोता आया हूँ खोएं हुए थोड़े मे मेरा संजोयाँ हुआ काफी भी था जो मेरा थोड़ा पुरा था जिसे ज्यादा पाने में खोया मैने वो किसी का तो पुरा पुरा था और किसी का थोड़ा थोड़ा
मेरा थोड़ा पुरा जिसका पुरा पुरा था वो भी अपना पुरा खोजते हुएँ पिछला थोड़ा खो देता है लेकिन उसका खोया हुआ थोड़ा मेरे थोड़े का बहुत ही थोड़ा था
और मेरा पुरा पुरा जिसका थोड़ा पुरा था वो भी अपना पुरा पुरा खोजते हुएँ अपना काफी थोड़ा पुरा खो देता है फिर भी उसका थोड़ा पुरा मेरे पुरे पुरे से काफी ज्यादा है
जो तुमने बीज व्यर्थ समझकर माटी पर यूही फैका था धरती ने अपना रंग डार कर माथे को बस सहलाया था आज देख उदर वो, गगन छू रहा आज देख फलो मे, स्वाद आ गया जो ये रंग है, वो माटी का है और जो ये दंभ है, बीज का स्वयं का है अभी सभी ओर, यही रंग छा जायेगा और हर तरफ स्वतः ही झन्डा लहराएगा माथे पर माटी का तिलक लगा जब पुत्र भागते आयेंगे आप ही अपने कर्मो का हिस्सा लेकर जायेंगे
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Seems Rohit Narayan Chaubey has not written any more Quotes.