Rohit Narayan Chaubey   (Rohit narayan chaubey)
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प्रेत हूँ सड़क का
जीवन को धक्का देती
ये सड़क मेरी है!!!
Joined 14 January 2019


प्रेत हूँ सड़क का
जीवन को धक्का देती
ये सड़क मेरी है!!!
Joined 14 January 2019
24 JAN 2022 AT 21:29

लकीरें निश्चित है

नई लकीरे कई बार बनाई है,
पुरानी से जोड़ते हुए
पर जीवन मे एक भी नही उतरी।
सोचा की सारी पुरानी मिटा दी जाए,
ये असंभव क्यूँ सोचा पता नही।
सारी लकीरें मिटा भी नही सकता।
नई लकीरें बना भी नही सकता।
ये निश्चित है।

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21 JAN 2022 AT 14:27

काफ़ी नही

ठोस काफ़ी नही
सूर्य काफ़ी नही
इश्तेहार काफ़ी नही
मै काफ़ी नही

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20 JAN 2022 AT 10:36

बहुत ही अधिक काला
आकाश तिरने लगा है पृथ्वी से,
या अंतरिक्ष से उधार लेकर
छिटने लगा है पृथ्वी पर।

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19 JAN 2022 AT 11:09

अभी तक मै स्वार्थी हूँ

अकेले निकलकर
चलते चलते
उबड़-खाबड़ रास्तो पर
जीतते हुए
मै खुद को स्वार्थी कह देता हूँ
वो जिसका अर्थ स्वयं जैसा ही हो

साथ निकलकर
दौड़ते दौड़ते
पक्के रास्तो पर
हारते हुए
हमारे हम को साथी कह देता हूँ
वहाँ जहाँ बस साथ ही हो
और कुछ नही

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13 DEC 2021 AT 3:31

थोड़ा ज्यादा पाने की कोशिश में

थोड़ा ज्यादा पाने की कोशिश में
काफी थोड़ा खोता आया हूँ
खोएं हुए थोड़े मे
मेरा संजोयाँ हुआ काफी भी था
जो मेरा थोड़ा पुरा था
जिसे ज्यादा पाने में खोया मैने
वो किसी का तो पुरा पुरा था
और किसी का थोड़ा थोड़ा

मेरा थोड़ा पुरा जिसका पुरा पुरा था
वो भी अपना पुरा खोजते हुएँ
पिछला थोड़ा खो देता है
लेकिन उसका खोया हुआ थोड़ा
मेरे थोड़े का बहुत ही थोड़ा था

और मेरा पुरा पुरा जिसका थोड़ा पुरा था
वो भी अपना पुरा पुरा खोजते हुएँ
अपना काफी थोड़ा पुरा खो देता है
फिर भी उसका थोड़ा पुरा
मेरे पुरे पुरे से काफी ज्यादा है

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8 DEC 2021 AT 20:37

ये सूखे पेड़ यू ही नही सूखे
कुछ तो इनका भी पानी उन हरे पेड़ो ने चुराया है
कुछ तो पानी माली भी फुलो को देते वक्त कतराया है

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28 NOV 2021 AT 8:55

छोटे छोटे शहरों ने
छोटे छोटे कमरो के
छोटे छोटे छतो पे
छोटे छोटे गमलो में
छोटे छोटे जिवन को
छोटे से छोटे पैमाने पर
सजाया है
छोटे से छोटे लोगो के लिये

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26 NOV 2021 AT 9:12

जो तुमने बीज व्यर्थ समझकर
माटी पर यूही फैका था
धरती ने अपना रंग डार कर
माथे को बस सहलाया था
आज देख उदर वो, गगन छू रहा
आज देख फलो मे, स्वाद आ गया
जो ये रंग है, वो माटी का है
और जो ये दंभ है, बीज का स्वयं का है
अभी सभी ओर, यही रंग छा जायेगा
और हर तरफ
स्वतः ही झन्डा लहराएगा
माथे पर माटी का तिलक लगा
जब पुत्र भागते आयेंगे
आप ही अपने कर्मो
का हिस्सा लेकर जायेंगे

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