तू सब में दिखता है,तू सबको माने,
फिर चाहे गीता हो,या हो अज़ाने..
जब तुमको पाया तो,खुद को मैं जीता,
तुम मेरे कर्ता हो, तुम ही सुभीता..
तुमसे शुरू होता,तुम पे ही खोता,
'रस' दोनों 'भक्ति' है,तुम हो विजेता,
तुम नभ के स्वामी हो,संसार तुमसे,
मैं तुच्छ प्राणी हूँ, फिर भी हूँ तुमसे..
ये तेरी महिमा है,तुमको ही अर्पण,
तू सबका यौवन है,तू सबका दर्पण..
-