“बात वफ़ाओं की होती तो कभी ना हारते हम,
खेल नसीबों का था इसलिए खो दिया तुमको !!-
गलतफहमी से बढ़कर कोई दुश्मन नहीं होता ,
परिंदों को उड़ाना है तो बस पेड़ की शाखें हिला दीजिए...— % &-
"मैं सर ऐ बाजार बेचता रहा झुमकों का गुच्छा,
वो एक नथनी पहने नाक में मेरा दिल ख़रीद ले गयी!!"-
ज़ख़्म सब सूख गए हैं मेरे मरहम के बिना 🍁🦋
मेरे इक दोस्त की मुट्ठी में नमक आज भी है-
जरा अदब से गुजरिए हमारे ज़हन से जनाब,,
हमारी "खामोशियों" का भी इक अलग सा "रुतबा" है…-
इसलिए खामोश रह कर उम्र काट रहे हैं...
के ज़िन्दगी तुझसे बहस का फायदा कोई नहीं...-
मय को मेरे सुरूर से हासिल सुरूर था,, (मय- मदिरा,)
( सुरुर- नसा )
मैं था नशे में चूर नशा मुझ में चूर था।।-
इस बार शिकायतें लिख कर लाऊंगा....
हर बार गले लगा कर भुला देते हो...!!-
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता,,
#मिर्ज़ा_ग़ालिब-
खंजर पर जिगर, हाथों में तीर कमान रखते हैं ,
हम दोस्तों पर अपनी जान तक कुर्बान करते हैं।।-