Rohit Kumar Vishwakarma   (रोहित (राम रसिक))
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Joined 31 March 2018


Joined 31 March 2018
6 APR 2022 AT 17:59

“बात वफ़ाओं की होती तो कभी ना हारते हम,

खेल नसीबों का था इसलिए खो दिया तुमको !!

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15 FEB 2022 AT 22:31

गलतफहमी से बढ़कर कोई दुश्मन नहीं होता ,

परिंदों को उड़ाना है तो बस पेड़ की शाखें हिला दीजिए...— % &

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18 JAN 2022 AT 11:53

"मैं सर ऐ बाजार बेचता रहा झुमकों का गुच्छा,
वो एक नथनी पहने नाक में मेरा दिल ख़रीद ले गयी!!"

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13 JAN 2022 AT 22:36

ज़ख़्म सब सूख गए हैं मेरे मरहम के बिना 🍁🦋

मेरे इक दोस्त की मुट्ठी में नमक आज भी है

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13 JAN 2022 AT 20:22

जरा अदब से गुजरिए हमारे ज़हन से जनाब,,

हमारी "खामोशियों" का भी इक अलग सा "रुतबा" है…

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27 DEC 2021 AT 20:09

इसलिए खामोश रह कर उम्र काट रहे हैं...
के ज़िन्दगी तुझसे बहस का फायदा कोई नहीं...

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11 DEC 2021 AT 15:55

मय को मेरे सुरूर से हासिल सुरूर था,, (मय- मदिरा,)
( सुरुर- नसा )
मैं था नशे में चूर नशा मुझ में चूर था।।

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6 DEC 2021 AT 20:54

इस बार शिकायतें लिख कर लाऊंगा....
हर बार गले लगा कर भुला देते हो...!!

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4 DEC 2021 AT 23:04

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता,,

#मिर्ज़ा_ग़ालिब

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3 DEC 2021 AT 22:00

खंजर पर जिगर, हाथों में तीर कमान रखते हैं ,

हम दोस्तों पर अपनी जान तक कुर्बान करते हैं।।

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