Rohit Kumar Sharma   ('अंतरद्वन्द')
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लिखना पेशा नहीं,passion है
Joined 26 April 2020


लिखना पेशा नहीं,passion है
Joined 26 April 2020
2 JAN 2023 AT 12:26

जिस्म-ए-खाक है सब कुछ ....
बेवक्त ,बेहिसाब है सब कुछ ...
अरसा लग भी जाए जद्दोजहद में ....
ये हुस्न-ए-गुरूर ,अक्स-ए-अना ..
राख है सब कुछ ।।

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31 DEC 2022 AT 10:33

खैरियत में क्या किस्सा लिख दूं ...
इश्क-ए-अज़िय्यत का छोटा सा
हिस्सा लिख दूं...
खैर अभी मंजिल और मांझी
का साथ जरूरी है ...
अभी कुछ बातें हैं जो अधूरी हैं ।।

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16 FEB 2022 AT 21:11

**तुम जैसे- मुझ जैसे**




तुम जैसे छत्तीस
आते हैं....
ये कहने वाले कम
से कम ये तो जान
जायें उन छत्तीसो
में हम नहीं हम
सैंतीसवें हैं ।।


-Rohit Sharma

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16 FEB 2022 AT 20:40

**व्यक्तिगत रोष**

तुम अपने घमंड में चूर हो ,
जिस दिन इन घमंड की
सीढ़ियों से उतरना तो पता
चल जाएगा कि जब सब
कुछ खत्म हो जाता है तो
बीती खुशियाँ वर्तमान की
यातनाएं बन जाती हैं ।।

-Rohit Sharma

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15 NOV 2021 AT 5:32

**कायनात**

कभी यादों की बारात
ले आया करना....
हसीं मौसमों से ज़ज्बात
ले आया करना....

उड़ती पतंगों सा फिरता
हूँ कई दफा...
हर डोर से मेरी मुलाकात
ले आया करना...

तेरी भीगी पलकों से जुदा
होने की ख्वाहिश नहीं.....
जब भी आना इबादत की
बरसात ले आया करना...

और जमाने भर में घुमा पन्नों
पर लिखी नज्म की तरह ...
तू इक ग़ज़ल लिखकर सारी
कायनात ले आया करना ।।

-Rohit Sharma

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9 NOV 2021 AT 19:51

**किस्सा**

इस शर्मिंदगी से मैं मरता क्यों नहीं,
लगता है किसी की कहानी लिख रहा हूँ......
हिज्र-ए-मौसम से लिपटकर मैं
दरिया-ए-मोहब्बत को
भी पानी लिख रहा हूँ...

किस्सा कहूँ, हकीकत कहूँ
या फिर कोई फ़साना.....×2
नायाब गुलामों में रहकर खुद
को खानदानी लिख रहा हूँ....

कोई तजुर्बे की एक बूँद से चोट
देकर इतना ख़ुश-नुमा हुआ...×2
याद-ए-माजी में खोया इस कदर
कि तुझको ही बोतल पुरानी लिख रहा हूँ...

और ख्यालों का अक्स अक्सर
तोहमतें लगाता है कई दफा ....×2
बादलों का रंग चुराकर भरे समंदर
को आसमानी कर रहा हूँ ।।

-Rohit Sharma

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5 NOV 2021 AT 13:37

**करार**

ख्वाबों के दस्तावेज में
अधूरी तेरी परछाई है...
कभी हक़ीक़त में तुझसे
वाकिफ़ ना हुआ मैं ।।

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30 OCT 2021 AT 8:42

***मेरे हम-नवा***

मोहब्बत प्याली की हसीं
चुस्कियों से सजाकर रखना...
मेरे महबूब, मेरे हम-नवा तू खुद
को मेरी महफिल में बुलाकर रखना...

नजरों की अमानत जिन्दा है
इनायत ये बख़ूबी हम पर है...
कभी ग़मज़दा भी होना तो
चेहरा दिखाकर रखना...

तेरे हर लफ़्ज़ों में
गढ़ी है कहानी मेरी.....
कुछ किस्से मौजूदा हालातों
से बचाकर रखना...

और तेरे आशियाने में दुआओं
की मरहम सदा सलामत रहे ....
क़यामत आए भी गर दहलीज़ तक मेरे,
उस खुदा को भी तू हराकर रखना।।

-Rohit Sharma

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22 OCT 2021 AT 23:21

**तलाश-ए-सुकूँ**

मुझे मज़बूरी ने संभाल रखा है
वरना पानी हो जाता....
ये इश्क का समंदर नहीं वरना
दरिया में भी तूफानी हो जाता...

गिले शिकवे सब तलाश-ए-सुकूँ
की खोज में निकल पड़े हैं....
जिन्दा बस रूह है तेरी उसमें
घुल के मैं भी रूहानी हो जाता....

खामोश लफ़्ज़ों से बगावती
का सुरूर उतरा नहीं...
हर हर्फ को पढ़कर तेरे
जेहन की कहानी हो जाता....

और तारों सी छांव में दर्द
के मंजर बिखरे हुए हैं....
सेज ख्वाबों की बिछाकर बस
तेरी निशानी हो जाता...

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19 OCT 2021 AT 1:31

**उम्मीद-ए-जवाब**

घुमोगे शाम-ओ-सहर, पर
मेरी गली से गुजरना पड़ेगा....
मेरा हक अदा करने के लिए
तुझको तो सँवरना पड़ेगा....

मंज़िलें रुसवा हो भी जाएँ
पर उम्मीद-ए-जवाब की
बेहतरी ही मुनासिब है...
काफ़िला चला है दूर तक,
एक हद तलक तो थमना पड़ेगा ...

और एक जहां ,तू ना समझे
एक जहां, मैं हवा हो जाऊँ...
इल्म है हर नजर का,
किरदारों से बेहतर तुझको
समझना पड़ेगा ।।

-Rohit Sharma

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