Rohit Kumar   (kumaR)
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थोड़े बात .. थोड़े जज़्बात ..
Reader, Learner and Explorer


Started on 29/03/2k18
Joined 29 March 2018


थोड़े बात .. थोड़े जज़्बात ..
Reader, Learner and Explorer


Started on 29/03/2k18
Joined 29 March 2018
15 MAY 2021 AT 15:39

किसी के आँखों का मैं "तारा"
किसी के आँखों में "आवारा"
बस तेरी आँखों का सहारा ||

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11 JUL 2020 AT 18:11

मुख़्तलिफ़ हुई हैं राहें,
अब पहले सी बातें नहीं होती|

जो मिलते थे बेवक़्त, एक-दूजे से कभी
अब वैसी मुलाक़ातें नहीं होती ||

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10 JUL 2020 AT 17:15

मंज़िल के तालाश में,
ज़िन्दगी की आस बाकी है|

हारे हैं ना जाने कितने जंग, पर
दिल में जीतने की प्यास आज भी बाकी है ||

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18 MAY 2020 AT 0:00

मैं रेत सा बंजर,
हुँ सागर सा गहरा,
हैं खुद से लगाए
उम्मीदों का पहरा
मैं छाँव भी हुँ
मैं धुप भी हुँ
इंसानियत की क्रूरता का
इक छोटा स्वरूप भी हुँ
मुझे जाती-धर्म से ढूंढों नहीं
मेरा वज़ूद ही मेरी पहचान है
जो दिन बीते मज़दूरी बिन
तो भूखी मेरी शाम है

मैं काली घनेरी रात सा हुँ
जले कोयले के ख़ाक सा हुँ
धधकती ज्वाला अंदर मेरे
किसी आग सा बेताब सा हुँ /migrant labourers\
मैं वक़्त की चाल हुँ
हालात से बेहाल हुँ
मैं श्रेष्ठ हुँ? मैं छिण हुँ?
या पोषित भ्रमजाल हुँ?
मैं आभावों में पनपता हुँ
शहरों की चकाचौंध में,
सबको नहीं दीखता हुँ|
जो प्राण हुए पखेरू मेरे,
तो राजनीतिक गलियारों में,
बन वोटबैंक मैं बिकता हुँ |||

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16 MAY 2020 AT 5:11

हर वक़्त गुज़रता है,
नए वक़्त की तालाश में ||

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22 APR 2020 AT 18:38

"राहें मुख़्तलिफ़ हुईं हैं,
अब पहले सी बातें नहीं होती,
जो मिलते थे बेवक़्त एक-दूजे कभी,
अब वैसी मुलाकातें नहीं होती ||"

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19 APR 2020 AT 5:31

"मेरी कोशिश का इक हार हो तुम"

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17 APR 2020 AT 0:40

Dukaandar:- mere pass bechne ko kuch nhi so bech rha hun gaflat

Daal bahut mehangi hai so log kharid rhe hain nafrat

_Aamir Aziz

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17 APR 2020 AT 0:01

थोड़ी बातें तुम करो,
थोड़े जज़्बात.. हम अपनी सुनाते हैं |

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16 APR 2020 AT 23:45

कल तक उनके चौखट पर हम रोज़ दस्तक दिया करते थे,
आज उन्होंने अपना ठिकाना बदल लिया और हमें ख़बर भी नहीं..
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नहीं नहीं साहब..कुक थे उनके और अब बेरोज़गार हैं 😂


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