Rohit kumar choudhary   (Rohit choudhary)
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Joined 30 December 2016


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Joined 30 December 2016
16 FEB AT 8:55

मैंने छू लिया है किसी को
किसी और को छूने में वक्त लगेगा

कहीं ऐसा न हो कि सारी उम्र निकल जाए
जान चली जाए और आखिरी इश्क न जाए

इश्क और क्या वसूल करेगा हमसे
वफ़ा का हर हर्फ पढ़ा रही है हमें

ये नहीं है कि हाल में ही जुदा हुए हैं
दर्द मगर जरा सा भी नहीं कमा है

वक्त के साथ सारे गिले खत्म हो गये
मगर किसी से इश्क , फिर मन नहीं हुआ है

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16 FEB AT 8:49

इश्क़, दोस्ती और आवारगी
कुछ आदतें ताउम्र नहीं जाएगी

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18 JAN 2017 AT 23:12

जाने किस पर आफत आई है ,
फिर से वो बन संवर के निकली है।

शाम को कुछ खबर ही नही है ,
ये शहर रात क्या गुल खिलाता है।

मर गया जो कोई नजर की चाह में ,
वो जनाजा महखाना गुलज़ार करता हैं।

उलझन है ऐसी सुलझती नही है ,
सच्ची मोहहब्बत इस जमाने में मिलती नही है।

कोई रोक लो चलती शबाब को ,
जाने कितने डूब जायेंगे शराब में।

कोई इत्तालाह कर दो उस दीवाने को ,
ये सफर कुछ दूर पर थम जायेगा।

फ़र्ज़ है नक़ाब हटा दो ,
वो तो आशिक़ है बस इमान जानता हैं।

किस्सा मोहहब्बत के अंजाम का अब काम नही आएगा ,
फिर कोई "रोहित" एक बेवफ़ा से दिल लगा बैठा है।

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16 DEC 2021 AT 0:17

Man dies thousands time before stop breathing
Think how many times you killed to how many people
Of course you are also killed in many ways sometimes by others
Sometimes by yourself

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29 AUG 2021 AT 4:45

समंदर की लहरें खूब इतराए ...
अपने अपने खालीपन के घर से बाहर
कुछ लोग अपना वजूद तलाशते रहें
सूरज के छितीज से उतरने के बाद तक...
इतनी देर मे शाम साहिल से उतरकर
रात की गोद में सिर रख कर ऊँघने लगा था ...
फिर किसी जल्दी में आदमी था
जाने क्यों सबको जल्दी घर जाना था ...

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29 AUG 2021 AT 4:31

मतलब भी है , मतलबी लोग भी हैं
मौकापरसत इंसानो की इसी दुनिया में
सबको सच्चे आदमी की तलाश है

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25 AUG 2021 AT 16:01

कुछ इस तरह एक हादसा हुआ
बाप बिमार हुआ और
घर का बच्चा बड़ा हो गया

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25 AUG 2021 AT 15:53

यूँ तो मैं कभी रोता नहीं था मगर
माँ को रोते देख आसूँ रुकते नहीं थे

माँ रोए भी तो अब रो नहीं सकता
मुझे माँ को तसल्ली भी देना होता है

बचपन में जिसने उँगली पकड़ चलना सिखाया
उम्र के बीतते सफर में उन्हे भी सहारे की जरूरत है

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25 AUG 2021 AT 15:30

न जाने कब कहाँ किस हाल में होंगे
मगर हर कदम मेरे तेरे साथ में होंगे

यूँ तो मालूम नहीं किस शहर में रात होगी
मगर हर खुशी हर गम में हम तेरे पास होंगे

शायद चंद दिनों की है सारी दुनियादारी
वक़्त न भी मिले तो हम एहसास में रहेंगे

तुम भी आ जाना मेरे बुलाने से
सब लोग फिर से एक बार घर में मिलेंगे

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27 FEB 2021 AT 23:52

कई बार गलतफहमी हो जाती है
हर बार नाराज नहीं हुआ जाता

खुद से मोहब्बत भी इश्क है
हर किसी को ये वफा नहीं आती

कमरे में बिखरी हुई चीज भी तो है
अकेले में हर शख्स तन्हा नहीं होता

कम कहना आदत होता है किसी का
ये मत समझना वो शख्स कम जानता है

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