कुछ करने को मन में सोचा चीज चल रहा है,
है एक भीतर बसी बेचैनी का ढेर बढ़ रहा है ,
तमाम सवालों के उत्तर पानी की उत्सुकता,
किसी अचानक से चलते आँधियों की तरह उड़ रहा है,
मैं समेटना चाहता हूं ऐसे लोगों की बातें,
जो दिल में नयी ऊर्जा और शक्ति दे रहा है,
कहां फंसा पड़ा हूं मैं न जाने कैसी रिवाजे है,
ढंक के मन की आजादी कैसे 'मैं' सह रहा है l-
A poet who filled with random thoughts.
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किस रास्ते से मैं गुजर रहा और कहां चल रहा हूं,
ऐसा प्रतीत होता है मैं एक भ्रम में जी रहा हूं,
कैसे कहें कुछ अंधेरों में जीवन चलता जा रहा,
मैं निकलने की कोशिश में उतना ही धंसता जा रहा हूं,
एक धुंधलापन सा छाया है आँखों के सामने,
देखूँ भी तो कितना मैं बस घूरता जा रहा हूं ।-
लिखकर कहां कभी मैं पूरा लिख पाया हूं,
जब भी कलम चलें तो खुद को विचलित पाया हूं,
एक अज्ञानता से निकलने की कोशिश जारी है,
बस सम्भाल के रखे खुद को हमेशा बहलाया हूं,
कैसे जैसे मन साग़र की भांति अतीत में बह रहा,
जब भी ठहरी आंखों से हालात को जाना बस मुस्कुराया हूं l-
मुश्किल से ही तो दिल संभल पाता है,
फिर कोई आखिर क्यों बिना बताए आ जाता है,
एक-एक पल की कोशिशों को इकट्ठा करते हैं,
ऐसे भी भला क्यों उन्हें कोई तोड़ जाता है,
पता न बताओ फिर भी घुसपैठ की तरह आते हैं,
क्या दिल का रास्ता इतनी आसानी से मिल जाता है?
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कभी कभी मैं सोचता हूं कि जिंदगी के हर एक साल और उस साल के महीने का हर एक दिन न जाने कितने ख़यालातो से गुज़रती है l एक तरह से देखूँ तो लगता है कि पूरी जिंदगी जैसे सिर्फ ख़यालातो का सफ़र है l
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क्या कहे तेरे बिन हर पल बेगाना सा लगता है,
कभी खामोशी सा बढ़ता शोर तो कभी तन्हाई सा लगता है,
ये इश्क़ के फ़साने में भी ना जाने कितने मसले हैं,
मैं सुलझाता एक हूँ तो दूसरा उलझ जाता है,
तुम कहते हो मैं तुम्हारा आइना अश्क दोनों हूँ,
तो क्या मेरा न खुश होना तुमको भी सताता है,
एक दूजे के संग ता उम्र बिताने की ख्वाहिश बोलते हो,
मुझे तो तुम्हारा एक पल ही सदियों सा लगता है।
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चहकते दिल का अब खामोश हो जाना,
मेरी उम्मीदों में चमकती इन्तेज़ार का खत्म हो जाना,
न जाने ऐसे अब कितनी निशानियाँ है मुझमे,
कहीं तेरी यादों में डूबा मैं,कहीं तू बिखरा पड़ा है मुझमेl
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कैसे वो गले लग के बोला था,
कि तुमसे मिली तो मंजिल मिल गयी,
उसको क्या खबर, एक पल की गुफ़्तगू में
जैसे मुझे जिंदगी मिल गयी l-
प्यार की पहली और आखिरी शर्त
वफा निभाने की होती है,
फिर क्यों लोग बेईमानी कर जाते है
जिनसे उन्होंने कसमें खायी होती है ?-
उसके बारे में लिख के याद कर रहा था,
या शायद उसको याद करके लिख रहा था,
मैं उससे बिछुड़ने से डर रहा था,
या शायद डर डर के बिछुड़ रहा था ।-