समस्त जीवों का पालन-पोषण है करती,
इसलिए पूरी पृथ्वी कहलाती है माँ धरती।
इंसान खुद को सबसे बुद्धिमान समझता,
परंतु उसी के द्वारा हर पल धरती है मरती।-
मुश्किल से पहुंचा था फलक पर उठके खाक से,
लेकिन वापस मिला दिया गया हूँ जलती राख में।
नहीं कर सकता मैं किसी भी इन्सान पर भरोसा,
क्योंकि अब हर कोई गिर चुका है मेरी आँख से।-
माना था कि तुम हो जहां में सिर्फ़ हमारे लिए,
इसलिये जीते जा रहे थे हम बस तुम्हारे लिए।
तेरे बिछुड़ने से, ठीक से खडे तक ना हो सके,
चलने के लिए ना जाने कितनों के सहारे लिए।-
"I got hurt by almost every human relation, but then I realized the fault was mine because since childhood I was wasting my goodness to a wrong species."
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धर्म के नाम पर आहुति व कुर्बानी देना पाखंड है,
इन मासूम बेजुबानो पर ये बिना पाप का दंड है।
इंसान समझता है कि वो सभी प्राणियों में श्रेष्ठ है,
उसकी ये काल्पनिक सोच, सिर्फ मिथ्या घमंड है।-
मासूम दिल तोड़ने की रस्म, हो गई है शौकिया,
इसलिए तो अब सिर्फ़, आजादी है मेरी दुल्हनिया।
इन्सान का चरित्र देखो, ना देखो उसका हुलिया,
ना जाने इस बात को, कब समझेगी अंधी दुनिया?-
छोड़ गया हरेक वो शख्स मुझे, जो मेरे लिए खास था,
दोस्ती, प्यार और अपनापन, सब नकली एहसास था।
तब फिर सुकून मिला मुझे सिर्फ पशु-पक्षियों के साथ,
ऐसा लगा जैसे कि, मैं हर पल खुदा के आस-पास था।-
काश जानवरों और परिंदों को पता चले कि जिस गर्मी के कारण वो तड़प-तड़प के प्राण त्याग रहे हैं वो इंसानों द्वारा पर्यावरण के अत्याधिक शोषण का नतीज़ा है, फिर पशु-पक्षी मिलकर मानवों के इस कुकृत्य का न्याय करे।
लेकिन अफ़सोस अपने इस पाप के बारे में सिर्फ इन्सान को पता है और वो खुद को कभी सजा देने से रहा।-
When an apple fall down on his long hairy head,
Then all the previous fake theories become dead.
He discovered all hidden truths which are factual,
Till life he kept himself mysterious and asexual.
31st March 1727 was a date of sorrow with salvation,
Because it's the death day for expert of gravitation.
The world owes him, either London or Washington,
You will always be remembered "Sir Isaac Newton".-
विश्व मे प्राचीन काल से ये मुल्क रहा है सोने और हीरो की खान,
इस देश ने ही तो दिया था दुनिया को गणित में शुन्य का वरदान।
हमारी मातृभूमि का हरेक नागरिक होता है बहुत बेहतरीन इंसान,
चाहे वो बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई हो या हो हिन्दू और मुसलमान।
पर बटवारे के समय हुई थी ये धरती अपनो के खून से लहू-लोहान,
तब माँ भारती के चेहरे पर फिर से वापस लाने के लिए मुस्कान।
डॉ. भीम राव आंबेडकर ने उपयोग किया था अपना समस्त ज्ञान,
और ढाई वर्ष में बनाया नियमो को, बिना महसूस किये कोई थकान।
फिर 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था हमारे देश का सविंधान,
तब जाकर मिली इस देवभूमि को अपने खुद के कानून की पहचान।
अब हर वर्ष इस दिन आमंत्रित किया जाता है एक विदेशी मेहमान,
और तब हमारे तीव्र विमानों की गर्जना से थरथरा जाता है आसमान।
साथ ही राष्ट्रपति भवन से लालकिले तक दिखती है झॉकियों की शान,
जो याद दिलाती है शास्त्री जी का दिया नारा 'जय जवान जय किसान'।
इसलिए तो पूरे संसार भर में सारे जहाँ से अच्छा है हमारा हिंदुस्तान,
तिरंगे को नमन कर हर देशवासी का दिल कहता है 'मेरा भारत महान'।-