Rohit Choursiya   (~ROHIT~)
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Joined 12 April 2019


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Joined 12 April 2019
19 MAY 2022 AT 9:24

दबी हुई कुछ ख्वाहिशें हैं, कुछ मंद मुस्कुराहटें..
कुछ खोए हुए सपने है, कुछ अनसुनी आहटें..
कुछ सुकूं भरी यादें हैं, कुछ दर्द भरे लम्हात..
कुछ थामे हुए तूफान हैं, कुछ मद्धम सी बरसात..
कुछ अनकहे अल्फाज है, कुछ नासमझ इशारे..
कुछ ऐसे मझधार हैं जिनके मिलते नही किनारे..
कुछ उलझने हैं राहों में, कुछ कोशिशें बेहिसाब..
बस इसी का नाम जिंदगी है, चलते रहिए जनाब....

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23 APR 2022 AT 20:13

मां की तरह प्यार लूटाता कौन है
गर रूठ जाएं तो वैसे मनाता कौन है।
माना हो जाता है प्यार किसी से जिंदगी के इस छोटे से सफर में
मगर मां की तरह प्यार निभाता कौन है।।

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7 JAN 2022 AT 13:46

कुछ ये आलम है अपनी बे-आराम आरजुवों का!
सपने तो खूब आते हैं, कमबख्त नींद नहीं आती।

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1 JAN 2022 AT 23:54

रास्ते बदल गए लेकिन मंजिलें वही हैं,
हम तो गलत ही थे जनाब सिर्फ आप ही सही हैं।

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1 JAN 2022 AT 1:16

चांदनी रात अलविदा कर रही है,
ठंडी सी हवा दस्तक दे रही है!
जरा नजरें उठा कर देखो नजरों को,
एक प्यारी सी सुबह आपको नए साल की मुबारकबाद दे रही है।

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30 DEC 2021 AT 23:00

Kon kahta hai dosti ke liye roj milna jaroori hai,
Kuch dost aise bhi paye hain maine jinko aajtak kabhi dekha bhi nahi hai
Fir bhi vo apne se lagate hain.
Samajh nahi aata kyu aksar log kahte hain door rahne se rishton me dooriyan aa jati hain
Kuch aise bhi log dekhe hain maine jo pass rah kar bhi sath nahi rahna chahte.
Sab kahte hain online friend hai, kabhi mile aur dekhe nahi ho isliye sambhalkar rahna
Par ye batao sacche insaan ki parakh aakhir kisko hai
Maine to aksar logo ko pass rah kar jinse roj milte hain unko bhi vaqt aane par sath chhodte hue dekha hai.
Bhale hi ye dost desh ke doosre Kone me rahte hain.
Aur mana mil nahi skte
Par fir bhi jo bonding inke sath hai usko sabdo me bayan karna muskil hai.

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29 DEC 2021 AT 18:35

मेरी मुस्कुराहट ही तो रहती है मेरे पास
डर लगा रहता है कहीं उसे भी किसी की नजर न लग जाए!

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27 DEC 2021 AT 8:46

तुम जो रात को अपना साथी बनाए बैठे हो,
सोते हो उस की छांव में या जागते ही रहते हो।

सुना है तुम रात भर उसके बारे में लिखते रहते हो,
अरसो के बाद तुम मिले उनसे या बस ख्यालों में ही डूबे रहते हो।

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25 DEC 2021 AT 10:28

जब कुछ ना हो तो कुछ पाने की इच्छा
कुछ मिल जाए तो सब कुछ पाने की तलाश
यही तो है मानव जीवन का मोह।

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24 DEC 2021 AT 23:07

बिना तेरे आजकल कोई लम्हा ठीक नहीं लगता
जो तुम ना हो साथ मेरे वो पल ठीक नहीं लगता
कमी कोई नहीं रहती अब मुझको अल्फाजों की
मगर जिक्र ना हो तेरा वह गजल ठीक नहीं लगता

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